झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एनआईसीयू (NICU) वार्ड में लगी भीषण आग ने 10 नवजात शिशुओं की जान ले ली। यह हादसा न केवल दिल दहला देने वाला है, बल्कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन की गंभीर लापरवाही को भी उजागर करता है। घटना में एक्सपायर हो चुके फायर एक्सटिंग्विशर्स (Fire Extinguishers) और अन्य सुरक्षा मानकों की अनदेखी सामने आई है।
झांसी के अस्पताल में आग, 10 नवजातों की मौत, 35 खिड़की तोड़कर बचाए गए
लापरवाही का खुलासा
मेडिकल कॉलेज में इस्तेमाल हो रहे फायर सिलेंडर 2020 और 2023 में ही एक्सपायर हो चुके थे। उन्हें रिफिल तक नहीं कराया गया था। घटना के बाद से यह सवाल उठने लगा है कि आखिर प्रशासन ने सुरक्षा उपकरणों की नियमित जांच क्यों नहीं करवाई।
पीड़ित परिवारों की व्यथा
घटना के बाद से अस्पताल में अफरा-तफरी मची हुई है। पीड़ित परिवार अपने बच्चों को तलाश रहे हैं। कुलदीप नामक एक व्यक्ति ने बताया कि आग लगने के बाद उन्होंने खिड़की तोड़कर चार से पांच बच्चों को बचाया, लेकिन उनका खुद का बच्चा अब तक लापता है। माया नाम की एक महिला ने बताया कि उनकी बेटी का बच्चा एनआईसीयू में भर्ती था। आग की घटना के बाद से उनका बच्चा गायब है और अस्पताल प्रशासन किसी तरह की स्पष्ट जानकारी देने में नाकाम रहा है।
डीएनए टेस्ट की मांग
कई परिवारों ने डीएनए टेस्ट कराने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि आग लगने के बाद बच्चों की पहचान करना मुश्किल हो गया है। अंकित नामक एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि उनके 7 महीने के भतीजे की मौत की सूचना दी गई, लेकिन इस सूचना की पुष्टि के लिए डीएनए टेस्ट होना चाहिए।
सुरक्षा में चूक पर सवाल
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में इस हादसे ने सुरक्षा उपायों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक्सपायर फायर सिलेंडर और खराब आपातकालीन प्रबंधन ने इस त्रासदी को और भयावह बना दिया।
FAQ
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक