झारखंड के जिस सम्मेद शिखर से 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 के मोक्ष हासिल करने की बात, उस पर जैन समुदाय आंदोलित क्यों? 4 पॉइंट्स

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Atul Tiwari
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झारखंड के जिस सम्मेद शिखर से 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 के मोक्ष हासिल करने की बात, उस पर जैन समुदाय आंदोलित क्यों? 4 पॉइंट्स

BHOPAL. झारखंड में स्थित जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को लेकर जैन समुदाय प्रदर्शन कर रहा है। वजह है सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया जाना। हाल ही में राजस्थान के जैन संत सुज्ञेय सागर ने प्राण त्याग दिए। सुज्ञेय सागर इसको लेकर अनशन कर रहे थे। अब पूरे मामले पर राजनीति हो रही है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में जैन समुदाय प्रदर्शन कर रहा है। सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले को वापस लेने के लिए जैन समुदाय रैलियां निकाल रहा है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है...



कहां है सम्मेद शिखर सम्मेद, क्यों है जैनियों की अगाध आस्था? 



सम्मेद शिखरजी जैनियों का पवित्र तीर्थ है। जैन धार्मिक मान्यता के मुताबिक, यहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए जैन समुदाय सम्मेद शिखर के कण-कण को पवित्र मानता है। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखर को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। ये जगह लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं। 



ये था झारखंड सरकार का फैसला?



जैनों के इस पवित्र धार्मिक स्थल को झारखंड सरकार ने फरवरी 2019 में पर्यटन स्थल घोषित कर दिया था। इसके साथ ही देवघर स्थित बैजनाथ धाम और दुमका के बासुकीनाथ धाम को भी इसी सूची में शामिल किया गया। अगस्त 2019 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने की जबर्दस्त क्षमता है।



जैन समुदाय क्यों कर रहा विरोध?



जैन समुदाय का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, पर्यटन स्थल नहीं। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-शराब का सेवन करेंगे। इसके चलते इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता खंडित होगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसके अलावा लोग शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने को लेकर भी भड़के हैं। पिछले दिनों इस मामले को लेकर जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में महारैली निकाली गई। मध्य प्रदेश के कई जिलों में जैन समुदाय लगातार प्रदर्शन कर रहा है।



झारखंड सरकार और बीजेपी के एक-दूसरे पर आरोप



झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तर्क दिया कि सम्मेद शिखरजी को लेकर नोटिफिकेशन बीजेपी सरकार के वक्त जारी हुआ था। हम मामले को देख रहे हैं। वहीं, सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा कि केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किया है। बीजेपी अब लोगों को गुमराह कर रही है। उधर, बीजेपी का कहना है कि जब झारखंड में बीजेपी की सरकार थी, तब सम्मेद शिखरजी को तीर्थस्थल घोषित किया गया था। इसके संरक्षण के लिए काम किया। अब झामुमो सरकार इसे खंडित करने और जैन समुदाय के लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है।


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