देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 14 अक्टूबर को एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल (LG) के अधिकार को चुनौती दी गई थी। दरअसल केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में पांच विधायकों को मनोनीत करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi ) से कहा, वे मनोनीत कर सकते हैं, या नहीं भी कर सकते हैं ये हमें नहीं पता। आप हाईकोर्ट जाइए। हर बात के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) में नहीं आना चाहिए। कोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब इस केंद्र शासित प्रदेश में नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं।
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उपराज्यपाल को है मनोनीत करने का अधिकार
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 और 2023 में किए गए संशोधन के तहत केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल 5 सदस्यों को विधानसभा में मनोनीत कर सकते हैं। इन सदस्यों के पास में अन्य विधायकों की तरह ही शक्तियां और मतदान का अधिकार होता है।
केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल के अधिकार ये हैं...
1. केंद्र शासित राज्यों में उपराज्यपाल के पास बिल को पास करने या न करने का अधिकार है।
2. विधानसभा में बिल पेश करने से पहले उपराज्यपाल की सहमति जरूरत है ।
3. उपराज्यपाल कानून के तहत अपने विवेक से काम करने के लिए बाध्य हो सकते हैं.
4. अगर उपराज्यपाल और उनके मंत्रियों के बीच किसी विषय पर असहमति होती है, वे उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।
5. राष्ट्रपति शासन के दौरान उपराज्यपाल सरकार के पूर्ण कार्यकारी नेता बन जाते हैं।
6. राष्ट्रपति शासन की अवधि उपराज्यपाल की पसंद पर निर्भर करती है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
इस पर कोर्ट ने कहा, पहली बात कि उन्होंने अभी तक ऐसा किया नहीं है। दूसरी बात, इन प्रावधानों के होने के पीछे उनके पास कुछ कारण होने चाहिए। हाईकोर्ट को इन सबकी जांच करनी चाहिए और ऐसा लगता है कि यह याचिका चुनाव परिणाम आने से पहले ही दायर की गई थी। पीठ ने कहा, हम संविधान के अनुच्छेद 32 ( रिट क्षेत्राधिकार ) के तहत इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।
अभिषेक मनु सिंघवी ने दी ये दलील
जस्टिस खन्ना की इस बात पर अधिवक्ता सिंघवी ने कहा मान लीजिए कि 90 सदस्यों वाली विधानसभा में मेरे पास 48 विधायक हैं। यह बहुमत के आंकड़े से तीन अधिक है। अगर एलजी पांच विधायकों को मनोनीत करते हैं, तो दूसरी तरफ 47 विधायक हो सकते हैं और यह सिर्फ एक सदस्य रह जाएगा। आप इस शक्ति का उपयोग करके चुनावी जनादेश को पूरी तरह से विफल कर सकते हैं। सिंघवी की इस दलील पर जस्टिस ने कहा कि हाईकोर्ट जाएं। हम इस पर स्टे लगा सकते हैं, लेकिन हम यहां सब कुछ तय नहीं कर सकते।
रविंदर कुमार शर्मा ने लगाई थी याचिका
जम्मू-कश्मीर निवासी याचिकाकर्ता रविंदर कुमार शर्मा ने अपनी याचिका में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 15, 15ए और 15बी को चुनौती दी है। रविंदर कुमार शर्मा ने तर्क दिया कि यह संविधान (Constitution ) के मूल ढांचे से संबंधित है, और चुनावी जनादेश (electoral mandate ) के लिए इससे बड़ा खतरा है।
जम्मू कश्मीर में NC ने जीती हैं 42 सीटें
हाल ही में हुए चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 42 सीटें जीतकर जीत हासिल की। कांग्रेस और मार्क्सवादी ने क्रमशः छह और एक सीट जीती, जिससे गठबंधन की संख्या 49 हो गई। आम आदमी पार्टी भी एक सीट जीतने में कामयाब रही है। वहीं बीजेपी 29 सीट जीतकर प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही है।
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