जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने 14 मई 2025 को भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ ली। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को इस पद की शपथ दिलाई। वे भारत के 52वें CJI बने हैं। जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हुआ, जिसके बाद वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस गवई का नाम आगे बढ़ाया गया। मुख्य न्यायाधीश के इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत सभी कैबिनेट मंत्री शामिल हुए।
केवल 7 महीने का कार्यकाल
जस्टिस गवई का कार्यकाल मात्र सात महीने का रहेगा और वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। इसके बाद वरिष्ठता क्रम में जस्टिस सूर्यकांत का नाम आता है, जिन्हें 53वां CJI बनाए जाने की संभावना है।
प्रोफेशनल सफर
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 1985 में अपने करियर की शुरुआत की। बॉम्बे हाईकोर्ट में 1987 में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद 1992-93 में वे सहायक सरकारी वकील और एडीशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नागपुर बेंच रहे। 14 नवंबर 2003 को एडिशनल जज, बॉम्बे हाईकोर्ट बने। 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई। जस्टिस बीआर गवई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमरावती के एक साधारण स्कूल से प्राप्त की और अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर ऊंचे पद तक पहुंचे हैं।
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देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI
जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI हैं। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में यह पद संभाल चुके हैं।
ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका
डिमॉनेटाइजेशन (Demonetisation) के फैसले को वैध ठहराना
चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) योजना को असंवैधानिक घोषित करना
मां के पैर छूकर लिया आशीर्वाद
पद की शपथ लेने के तुरंत बाद CJI गवई ने सबसे पहले अपनी मां कमलताई गवई के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। जस्टिस बीआर गवई की मां, कमलताई गवई ने बेटे की सफलता पर गर्व और भरोसा जताया। उन्होंने कहा- एक मां के तौर पर, मेरी इच्छा थी और मैं हमेशा चाहती थी कि मेरा बेटा अपने पिता के मार्गदर्शन में समाज की सेवा करे, लोगों को सम्मान दे और उनके साथ निष्पक्ष न्याय करे, बिना किसी भेदभाव के। आज यह हम सब के लिए खुशी का बहुत बड़ा पल है।
कमलताई गवई ने अपने बेटे की कठिन यात्रा को भी साझा किया और कहा- वह बहुत छोटी उम्र से ही कई कठिनाइयों का सामना करते हुए और कई चुनौतियों को पार करते हुए आज इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचे हैं।
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