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सावन का पावन महीना शुरू हो गया है। इसी के साथ शुरू हो गई है पवित्र कांवड़ यात्रा। गगरियों में गंगाजल लिए श्रद्धालुओं की लाइनें सड़कों पर आज से नजर आएंगी। दूसरी ओर सावन महीने के पहले दिन नेमप्लेट आदेश पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी तमाम दुकानदारों और ठेलेवालों में खुशी नजर आ रही है।
हटने लगी नेमप्लेट
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों को अनिवार्य रूप से नेमप्लेट लगाने के फैसले पर सोमवार 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक के बाद दुकानदार बहुत खुश हैं। दुकानों से अब नेमप्लेट हटने लगी हैं। सर्वोच्च अदालत ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चर्चा के बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए हम उपरोक्त निर्देशों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ढाबा मालिकों, फल विक्रेताओं, फेरीवालों समेत खाद्य विक्रेताओं को भोजन या सामग्री का प्रकार प्रदर्शित करने की जरूरत हो सकती है, लेकिन उन्हें मालिकों की पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
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विपक्ष सरकार पर हमलावर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कहना है कि जिस समय मुझे जानकारी मिली थी तभी मैंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इसे संज्ञान में ले और ऐसी कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए।
क्या है पूरा मामला
पिछले हफ्ते मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों की नेमप्लेट लगाने के आदेश दिए थे, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में इस आदेश को लागू कर दिया था। उत्तराखंड सरकार ने भी इस संबंध में आदेश जारी किया था। योगी सरकार के इस कदम की ना सिर्फ विपक्ष, बल्कि एनडीए के सहयोगी जेडी(यू) और आरएलडी समेत अन्य पार्टियों भी नाराज थी।
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