NEW DELHI. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों और होटलों पर नेम प्लेट वाले आदेश पर विवाद थमते नहीं दिख रहा है। सियासी घमासान के साथ ये विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के एनजीओ ने यूपी सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
इसी बीच ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद योगी सरकार के फैसले का विरोध जताया है।
दोनों धर्मों में बढ़ेगा विद्वेष
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने योगी सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसे निर्देश से सिर्फ दोनों धर्मों में विद्वेष बढ़ेगा, ऐसे निर्देश देते हो फिर कांवड़ यात्रा में डीजे बजने देते हो, सिर्फ नाम बदलवा देने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आखिर हम ये कैसे कह दें कि ये सही है? क्योंकि मुसलमान की दुकान है और हिन्दू नौकर है। बनाने वाले सब हिन्दू हैं और मालिक धंधा कर रहा है।
ये अचानक लिया गया फैसला
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस फैसले से आर्थिक नुकसान होगा। जिससे मालिक छटनी कर देगा, जिससे हिंदू छटनी में जाएगा। शंकराचार्य ने आगे कहा कि इस फैसले से दोनों के अंदर भेद आ गया। अब लोगों में हिंदू-मुसलमान की भावना आ जाएगी और दोनों में टकराव और कड़वाहट आ जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि जिस उद्देश्य से फैसला लिया गया है। पवित्रता का समर्थन करते हैं, ये अचानक लिया गया फैसला है। जैसे नोटबंदी अचानक कर दी गई थी तो लोगों को कितनी परेशानी हुई थी।
जानें क्या है योगी सरकार का आदेश
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले होटलों, ढाबों, फलों की दुकानों और चाय की दुकानों की मालिकों के पहचान वाली नेम प्लेट दुकान पर लगाने का आदेश जारी किया है।
सीएम योगी के इस आदेश के बाद देश की राजनीति गरमा गई है। विपक्ष ने योगी सरकार के इस आदेश को सांप्रदायिक करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, आदेश रद्द करने की मांग
अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके यूपी सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है। इस एनजीओ ने यूपी सरकार के आदेश को संविधान के खिलाफ बताते हुए चुनौती दी है।
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