कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने नामंजूर किया मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला बिल

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत सुर्खियों में हैं। उन्होंने मंदिरों की कमाई पर टैक्स लगाने वाले बिल पर साइन करने से इनकार कर दिया। थावरचंद ने कर्नाटक सरकार से पूछा कि दूसरे मजहब के धार्मिक स्थलों को ऐसे कानून से बाहर क्यों रखा गया है।

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Rahul Garhwal
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Karnataka Governor Thawar Chand Gehlot rejected the bill to impose tax on temples

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत

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Thawar Chand Gehlot Rejected The Bill To Impose Tax On Temples

BENGALURU. कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ( Thawar Chand Gehlot ) ने मंदिरों की कमाई पर टैक्स लगाने वाले बिल पर साइन करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कर्नाटक सरकार से पूछा कि सिर्फ मंदिरों पर ही टैक्स क्यों लगाया जा रहा है, अन्य मजहबी स्थलों को ऐसे कानूनों से बाहर क्यों रखा गया है। इस बिल को हाल ही में कर्नाटक विधानसभा और विधान परिषद से पास किया गया था।

थावरचंद गहलोत ने क्यों नहीं दी बिल को मंजूरी

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बिल इस बिल को एक धर्म के साथ पक्षपात करने वाला बताया है। उन्होंने सिद्दारमैया सरकार से पूछा कि सिर्फ मंदिरों पर ही टैक्स क्यों लगाया जा रहा है। नए कानून के तहत सभी धार्मिक स्थलों पर टैक्स लगाया जाना चाहिए। क्या इस कानून के तहत अन्य धार्मिक स्थल भी टैक्स के दायरे में लाए जाएंगे।

क्या है कर्नाटक सरकार का बिल ?

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार फरवरी में हिंदू मंदिरों की कमाई पर टैक्स लगाने वाला बिल लाई थी। इसे 'कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024' नाम दिया गया था। इसे कानून बनाकर हर साल 1 करोड़ से ज्यादा दान पाने वाले मंदिरों से 10 प्रतिशत और 1 करोड़ तक का दान पाने वाले मंदिरों से 5 प्रतिशत टैक्स वसूला जाएगा।

विधानसभा से बिल पास, विधान परिषद में विरोध

कर्नाटक विधानसभा ने फरवरी में इस बिल को पास कर दिया था। वहीं विधान परिषद में इस विधेयक को बीजेपी और JDS के गठबंधन ने पास नहीं होने दिया था। कर्नाटक सरकार ने 1 मार्च को बीजेपी और JDS के वॉकआउट करने पर इस विधेयक को विधान परिषद से पास करा लिया था। अब इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।

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विपक्ष ने सरकार पर उठाए थे सवाल

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बिल नामंजूर कर दिया। इसके साथ ही कर्नाटक सरकार से सवाल पूछे हैं। विधेयक के आने पर बीजेपी और JDS ने सिद्दारमैया सरकार पर सवाल उठाए थे। विपक्षी नेताओं का कहना था कि कांग्रेस सरकार सिर्फ मंदिरों से ही कमाई क्यों करना चाहती है।

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