जयपुर में 9 दिवसीय श्रीराम कथा के अवसर पर पहुंचे जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के कश्मीर में अनुच्छेद 370 ( Article 370 ) की बहाली के बयान पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि कश्मीर का मुद्दा न्यायालय में लंबित है और इसे बहाल करना कोई खिलौना नहीं है, जिसे किसी भी समय फिर से लागू किया जा सके। रामभद्राचार्य ने अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह खुद को शंकराचार्य कहलाते हैं लेकिन असल में वे शंकराचार्य भी नहीं हैं।
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अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन
Rambhadracharya ने अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय का समर्थन करते हुए इसे राष्ट्रहित में आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद ही देश के किसी भी नागरिक को कश्मीर में ज़मीन खरीदने का अधिकार मिला है, जो पहले संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और उसे अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में पाकिस्तान-ऑक्युपाइड कश्मीर ( Pakistan Occupied Kashmir ) भी भारत का हिस्सा बनेगा और पाकिस्तान का नाम विश्व मानचित्र से समाप्त हो जाएगा।
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भारतीयों का कर्तव्य
Rambhadracharya ने राष्ट्र के प्रति समर्पण और एकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भगवान राम ने देश को एक किया था, जबकि कुछ राजनेताओं ने अपने निर्णयों से देश में विभाजन की स्थिति पैदा कर दी। उन्होंने कहा कि कश्मीर में ऋषि कश्यप की भूमि, भगवान शिव का अमरनाथ मंदिर ( Amarnath Temple ) और माता वैष्णो का धाम ( Vaishno Devi ) है। ऐसे पवित्र स्थल भारत का हिस्सा बने रहें, यह सभी भारतीयों का कर्तव्य है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय स्थापित
जयपुर में Rambhadracharya की रामकथा सुनने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचे थे। उन्होंने अपनी बचपन की प्रेरणा और जीवन की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने विकलांग होते हुए भी कई कठिनाइयों को पार किया है। उन्होंने दिव्यांगों के लिए भारत का पहला विश्वविद्यालय, जगद्गुरु Rambhadracharya विकलांग विश्वविद्यालय (J agadguru Rambhadracharya Handicapped University ) स्थापित किया, जो चित्रकूट में स्थित है। उन्होंने कहा कि वे अपने जीवनकाल में हिंदू संस्कृति के मान-सम्मान को बनाए रखने के लिए समर्पित रहेंगे।
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