सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए सख्त गाइडलाइन्स, जानिए नए नियम

डिजिटल युग में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023 के मसौदा नियमों को पेश किया है। इन नियमों का उद्देश्य बच्चों और उपभोक्ताओं के डेटा को सुरक्षित करना है।

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Sourabh Bhatnagar
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डिजिटल युग में गोपनीयता और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए, केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम 2025 का मसौदा जारी किया है। इस मसौदे का मुख्य उद्देश्य नाबालिग बच्चों, दिव्यांगों और उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित करना है। इसके तहत, बच्चों के डेटा के इस्तेमाल के लिए उनके माता-पिता या कानूनी संरक्षक की सहमति अनिवार्य होगी।  

बच्चों के डेटा सुरक्षा के लिए नए नियम  

मसौदा नियमों के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने माता-पिता की मंजूरी लेनी होगी। डेटा फिड्यूशरीज़ (डाटा को संभालने वाली संस्थाएं) को बच्चों का डेटा संसाधित करने से पहले यह सहमति प्राप्त करनी होगी।  

मसौदे के अनुसार, डेटा फिड्यूशरीज (वे संस्थाएं जो व्यक्तिगत डेटा एकत्र और उपयोग करती हैं) बच्चों के डेटा का उपयोग तभी कर सकेंगी जब उनके माता-पिता सहमति देंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सहमति देने वाला व्यक्ति बच्चे का वास्तविक संरक्षक है, उनकी पहचान की जांच भी आवश्यक होगी। इसके अलावा, बच्चों का डेटा केवल उस अवधि तक संरक्षित रहेगा, जिसके लिए सहमति दी गई है। सहमति समाप्त होने के बाद, डेटा को हटाना अनिवार्य होगा।  

सार्वजनिक परामर्श के लिए मसौदा नियम उपलब्ध  

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 को 14 महीने पहले संसद से मंजूरी मिलने के बाद, इसके नियमों का मसौदा अब सार्वजनिक परामर्श के लिए माईजीओवी वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है। इन नियमों का उद्देश्य डेटा सुरक्षा के कानूनी ढांचे को मजबूत करना है। मसौदे में डेटा फिड्यूशरीज, उपभोक्ताओं और अधिकारियों के कार्यक्षेत्र को परिभाषित करते हुए सहमति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के प्रावधान किए गए हैं।  

दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं  

मसौदे में उल्लंघन की स्थिति में कोई स्पष्ट दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, डेटा फिड्यूशरीज को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे कानूनी रूप से सहमति प्राप्त करें और इसे लागू करें। किसी भी प्रकार का डेटा उल्लंघन होने पर संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।  

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और डेटा सुरक्षा  

मसौदे में ई-कॉमर्स इकाइयों, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए भी दिशा-निर्देश शामिल किए गए हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत कार्य करना होगा। हालांकि, इन प्लेटफॉर्म्स पर सामान या सेवाएं बेचने वाले विक्रेता इन नियमों के दायरे में नहीं आएंगे।  

ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया के लिए विशेष प्रावधान  

मसौदे के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थों को अपने उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उपयोगकर्ताओं के बीच होने वाली बातचीत को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाने होंगे।  

मसौदा नियमों पर विचार की समयसीमा  

मसौदा अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि नियमों पर 18 फरवरी 2025 के बाद विचार किया जाएगा। इस बीच, नागरिक अपने सुझाव और आपत्तियां माईजीओवी पोर्टल पर जमा कर सकते हैं।  

FAQ

1. क्यों जरूरी है बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट के लिए माता-पिता की सहमति?
यह बच्चों के ऑनलाइन डेटा को सुरक्षित रखने और उनकी गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए है।
2. क्या सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यह नियम लागू होगा?
जी हां, लेकिन शैक्षणिक और बाल कल्याण संस्थानों को कुछ छूट दी गई है।
3. डेटा उल्लंघन की स्थिति में क्या होगा?
कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
4. डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड क्या करेगा?
यह बोर्ड नियमों का पालन सुनिश्चित करेगा, उल्लंघनों की जांच करेगा और दंड लागू करेगा।
5. फीडबैक देने की अंतिम तारीख क्या है?
नागरिक 18 फरवरी 2025 तक अपने सुझाव MyGov.in पर दे सकते हैं।

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