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New Delhi. लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर (PC) के आयात पर तत्काल प्रभाव से लगाई गई रोक को केंद्र सरकार ने फिलहाल तीन महीने के लिए टाल दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने शुक्रवार (4 अगस्त) की देर रात अधिसूचना जारी कर दी है। अब 31 अक्टूबर तक इन उत्पादों के आयात के लिए लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। इन उत्पादों के आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्यता संबंधी नियम एक नवंबर से लागू होंगे। इसके बाद भी लाइसेंस नहीं लिए गए तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
उद्योग ने तीन-चार माह का वक्त मांगा
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 3 अगस्त को अधिसूचना जारी कर लैपटॉप, टैबलेट और पीसी के आयात को मुक्त श्रेणी से निषिद्ध में डाल दिया था। इन उत्पादों के आयात के लिए लाइसेंस को अनिवार्य कर दिया गया था। इसी के साथ ही यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू भी किया गया था। सरकार के इस फैसले पर उद्योग ने आपत्ति जताई थी। उद्योग ने सरकार से नए नियमों का पालन करने के लिए तीन-चार माह का वक्त देने को कहा था। अब लाइसेंस अनिवार्यता संबंधी नियमों को टालने से उद्योग को राहत मिल गई है।
विदेशी उपकरणों में सुरक्षा कारणों के चलते सरकार ने उठाया कदम
विदेशी उपकरणों में सुरक्षा कारणों से इन उत्पादों के आयात के लिए केंद्र सरकार ने लाइसेंस को जरूरी बनाने जैसा कदम उठाया है। सरकार के इस कदम से लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर जैसे उत्पादों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और चीन व दक्षिण कोरिया जैसे देशों से आयात में कमी लाने में मदद मिलेगी।
कहां से हो रहा आयात, मिल सकेगी जानकारी
विदेश व्यापार महानिदेशालय के अधिकारियों के अनुसार, लाइसेंस अनिवार्य होने से सरकार को उन जगहों की जानकारी भी मिल सकेगी, जहां से उत्पादों का आयात किया जाता है। काउंटरपाइंट रिसर्च के शोध निदेशक तरुण पाठक के अनुसार, भारत के लैपटाप, पीसी बाजार का आकार करीब आठ अरब डालर है और इसमें से 65 प्रतिशत उत्पादों की आपूर्ति आयात के जरिए की जाती है।
पीएलआइ में अब तक 44 कंपनियां पंजीकृत
केंद्र सरकार आईटी हार्डवेयर की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन पीएलआई योजना शुरू की है। योजना के तहत 31 जुलाई तक कुल 44 कंपनियां पंजीकृत हो चुकी हैं। इसमें कई वैश्विक पीसी निर्माता कंपनियां भी शामिल हैं। अब भारत की जो कंपनियां योजना का लाभ उठाना चाहती हैं, वे 30 अगस्त तक आवेदन जमा कर सकती हैं। योजना के अनुसार, केंद्र सरकार कुल 17,000 करोड़ रुपए के इंसेंटिव देगी।