कृष्णमोहन मिश्रा. लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी को 11 जून को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना का अगला प्रमुख बनाए जाने की घोषणा कर दी गई। जनरल द्विवेदी 30 जून को सेनाध्यक्ष का पदभार संभाल लेंगे। जनरल द्विवेदी का सेनाध्यक्ष बनना मध्यप्रदेश खासतौर पर रीवा के लिए गर्व का क्षण है।
रीवा और मध्यप्रदेश के लिए ये दोहरे गर्व का विषय है। मई में नौसेनाध्यक्ष पद पर एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी को नियुक्त किया गया है। एडमिरल त्रिपाठी और जनरल द्विवेदी दोनों ही रीवा सैनिक स्कूल के एक ही बैच के छात्र रहे हैं।
एडमिरल त्रिपाठी सतना जिले से आते हैं। सैनिक सेवा में मध्यप्रदेश का लंबा गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। देश की पहली महिला लड़ाकू पायलट बनने का गौरव भी रीवा की अवनि चतुर्वेदी को ही मिला था। इस समय नौसेना और सेना दोनों ही प्रमुख रीवा के बने हैं।
सेना आजादी के बाद के सबसे बड़े पुनर्गठन के लिए हो रही तैयार
Lieutenant General Upendra Dwivedi ने जिस समय सेना की बागडोर संभाली है, उस समय भारतीय सेना आजादी के बाद के सबसे बड़े पुनर्गठन के लिए तैयार हो रही है। अभी तक तीनों सेनाओं की अपनी-अपनी अलग कमान हैं, जिनकी कुल तादाद 17 है।
भारतीय सेना और वायुसेना की 7-7 और नौसेना की 3 कमान हैं। इन्हें मिलाकर अब तीन थियेटर कमान बनाई जाएंगी। एक पाकिस्तान के लिए जिसका मुख्यालय जयपुर होगा, दूसरी चीन के लिए जिसका मुख्यालय लखनऊ होगा। समुद्री सुरक्षा के लिए एक अलग कमान होगी, जिसके मुख्यालय पर विचार किया जा रहा है। संभावना ये है कि इसके लिए कर्नाटक के कारवार को चुना जाएगा।
भारतीय सेनाओं को एक ही कमान के अंदर रखने का विचार पुराना है, लेकिन कारगिल के बाद इस पर ज्यादा चर्चा शुरू हुई थी। तीनों सेनाओं को एक कमान में रखने से तालमेल में आसानी रहेगी, दूसरा संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा। जैसे तीनों ही सेनाओं के पास हेलीकॉप्टर यूनिट्स हैं, एयरक्राफ्ट स्क्वाड्रन हैं, एयर डिफेंस, संचार के अलग-अलग साधन हैं। अगर तीनों सेनाओं के ये संसाधन मिला दिए जाएंगे तो इनकी तादाद बढ़ जाएगी और इनका बेहतर इस्तेमाल भी हो सकेगा।
प्रयोग के तौर पर अंडमान निकोबार की कमान को ट्राई सर्विस बनाया गया और रक्षा मंत्रालय में एक सम्मिलित रक्षा स्टाफ की नियुक्ति हुई, लेकिन ये सब कदम केवल प्रयोगात्मक ही थे। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाल किले से घोषणा के बाद 1 जनवरी 2020 जनरल बिपिन रावत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद संभालने के बाद भारतीय सेनाओं के थियेटर कमान बनने की दिशा में गंभीरता से काम शुरू हुआ।
जनरल द्विवेदी के कार्यकाल में ही इस सबसे बड़े बदलाव की संभावना
अब भारत सरकार थियेटर कमान बनाने के लिए तैयार है और संभावना है कि जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाए। इसी के साथ भारतीय सेना नए दौर में प्रवेश करेगी जहां उसे एक प्रभावशाली सेनाध्यक्ष की ज़रूरत होगी। जनरल द्विवेदी के कार्यकाल में ही इस सबसे बड़े बदलाव की संभावना है।
भारतीय सेना दो दशक तक हथियारों और साजोसामान की कमी का सामना करती रही है। पिछले कुछ सालों में इस कमी को तेजी से पूरा किया जाना शुरू हुआ है। सेना को देश में बनी एके 203 राइफलें मिलनी शुरू हो गई हैं, जो अब सैनिकों को मुख्य हथियार बनेंगी। 155 मिमी कैलिबर की तोपों की तेज़ी से खरीदी की जा रही है, जो पहाड़ों में लड़ने का मुख्य हथियार होती हैं।
सेना के स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर मिलने शुरू हो गए हैं, जो पैदल सेना को लड़ाई में मदद करने के लिए बहुत जरूरी हैं। पहाड़ों की लड़ाई के लिए 25 टन से कम वजन वाले हल्के टैंक ज़ोरावर पर काम शुरू हो गया है। संभावना है कि इसका पहला प्रोटोटाइप इस साल तक सामने आ जाएगा। सेना के आधुनिकीकरण की इस रफ्तार को बनाए रखना जनरल द्विवेदी के लिए जरूरी होगा।
लगातार ढाई मोर्चों पर लड़ाई के लिए तैयारी करती है भारतीय सेना
Indian Army के बारे में कहा जाता है कि ये लगातार ढाई मोर्चों पर लड़ाई के लिए तैयारी करती है। यानी पाकिस्तान और चीन के अलावा आतंकवाद का भी एक मोर्चा है, जहां सेना को कार्रवाई के लिए तैयारी करनी होती है। चीन और पाकिस्तान दोनों के ही साथ 2021 फरवरी से युद्धविराम चल रहा है और कश्मीर में आतंकवाद अपने सबसे कमजोर दौर में है, लेकिन पाकिस्तान में आतंक की फैक्ट्री लगातार चल रही है और कश्मीर को लेकर उसका पुराना पागलपन भी बना हुआ है।
चीन के साथ कोर कमांडर स्तर की 20 दौर की चर्चा हो चुकी हैं, लेकिन दोनों तरफ़ से 50-50 हजार सैनिक एक-दूसरे के सामने तैनात हैं। बिना सेनाओं की वापसी के स्थायी शांति नहीं हो सकती है। आतंकवादियों ने कश्मीर छोड़कर पीर पंजाल पहाड़ियों के दक्षिण में जम्मू के इलाक़ों में अपनी कार्रवाइयां तेज कर दी है। भारतीय सेना को अपने ढाई मोर्चे की जंग में लगातार तैयार रहना है।
Indian Army Chief द्विवेदी के पास देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही इलाक़ों में काम करने का लंबा अनुभव है। उन्होंने उत्तर-पूर्व और कश्मीर दोनों ही जगह आतंकवाद का जमीनी स्तर पर मुकाबला किया है। चीन और पाकिस्तान दोनों के ही साथ मैदान और मेज दोनों ही जगह काम करने के अनुभव हैं। इसलिए भारतीय सेनाध्यक्ष द्विवेदी के लिए चुनौतियों को पहले से ही समझना और उन्हें हल करना मुश्किल नहीं होगा।