अक्सर अनदेखा करने वाले ये लक्षण हो सकते हैं सिकल सेल डिजीज का संकेत

सिकल सेल रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरुकता दिवस मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से

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Aparajita Priyadarshini
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हर साल सिकल सेल डिजीज को लेकर जागरुकता फैलाने के मकसद से 19 जून को World Sickle Cell Day मनाया जाता है। यह दिन इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के संघर्ष के प्रति जागरुकता फैलाना है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में... 

सिकल सेल एनीमिया क्या है ?

प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं। यह आकार में गोल, नर्म और लचीली होती हैं। यह लाल रक्त कोशिकाएं जब स्वयं के आकार से भी सूक्ष्म धमनियों में से प्रवाह करती हैं, तब वह अंडाकार आकार की हो जाती है।

सूक्ष्म धमनियों से बाहर निकलने के पश्चात कोशिकाओं के लचीलेपन के कारण वे पुनः अपना मूल स्वरूप ले लेती हैं । लाल रक्त कोशिकाओं का लाल रंग उसमे रहने वाले हीमोग्लोबिन नामक तत्व के कारण होता है । स्वस्थ रक्तकण में हीमोग्लोबिन नॉर्मल अर्थात सामान्य प्रकार का होता है । 

हीमोग्लोबिन का आकार सामान्य के बदले असामान्य भी देखने को मिलता है । जब लाल रक्त कोशिकाओं में इस प्रकार का बदलाव होता है, तब लाल रक्त कोशिकाएं जो सामान्य रूप से आकार में गोल तथा लचीली होती हैं यह गुण परिवर्तित कर अर्ध गोलाकार एवं सख्त/कड़क हो जाता है जिसे सिकल सेल कहा जाता है (लेटिन भाषा में सिकल का अर्थ हंसिया होता है) ।

यह धमनियों में अवरोध उत्पन्न करती हैं जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन व खून की कमी होने लगती है इसलिए इसे सिकल सेल एनीमिया कहा जाता है।

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सिकल सेल रोग वाले मरीज के लक्ष्ण क्या हैं ?

जब लाल रक्त कोशिकाओं में इस प्रकार का विकार पैदा होता है तब व्यक्ति के शरीर में अलग-अलग प्रकार की शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जैसे कि हाथ पैरों में दर्द होना, कमर के जोड़ों में दर्द होना, अस्थिरोग, बार- बार पीलिया होना, लीवर पर सूजन आना, मूत्राशय में रूकावट/दर्द होना, पित्ताशय में पथरी होना।

जोड़ों में सूजन या दर्द होना, पित्ताशय की पथरी, बार- बार बुखार या जुकाम होना , तिल्ली का बढ़ जाना , लीवर पर सूजन आना, बच्चों का विकास न होना, रोग प्रतिरोधक शक्ति घटने से दूसरी बीमारियों का आसानी से होना आदि, इस बीमारी के लक्षण है। यदि रोग का निदान न किया जाये तो जरुरी उपचार न मिलने से बचपन में ही बच्चे की मृत्यु हो सकती है।

जब किसी भी व्यक्ति को यह समस्याएँ होने लगें तो उसे रक्त की सिकल सेल एनीमिया के लिए जांच करवाना आवश्यक होता है।

यह रोग कैसे होता है 

सिकल सेल एनीमिया अनुवांशिक रोग है । हर व्यक्ति में दो जीन होते हैं एक माता के द्वारा जबकि दूसरा पिता के द्वारा प्राप्त होता है । इस जीन में सामान्य प्रकार का Hb-A हीमोग्लोबिन हो सकता है या एक में सामान्य और दूसरे में असामान्य Hb-S प्रकार का हीमोग्लोबिन हो सकता है।

असामान्य प्रकार के हीमोग्लोबिन वाली लाल रक्त कोशिका को सिकल सेल कहा जाता है । इस प्रकार के जीन पाने वाले व्यक्ति भविष्य में अपने बच्चों को वंशानुगत रूप से इसमें से किसी भी प्रकार के जीन दे सकते हैं।

सिकल सेल एनीमिया दो प्रकार का होता है 

प्रथम प्रकार सिकल सेल वाहक (सामान्य Hb-A) 

व्यक्ति रोग के वाहक के रूप में काम करते हैं अर्थात उनमे सिकल सेल के रोग के लक्षण स्थायी न होकर कभी - कभी दिखाई देते हैं। फिर भी ये व्यक्ति अपने बच्चों को वंशानुगत यह रोग दे सकते हैं ।

दूसरे प्रकार के सिकल रोगी (असामान्य Hb-S) 

यह वह व्यक्ति होते है जिनमें रोग के लक्ष्ण स्थायी रूप से रहते हैं Iजिससे उनके शरीर का विकास रुक जाता है । ये लोग निश्चित ही अपने बच्चों को वंशानुगत रोग देते हैं।

सिकल सेल एनीमिया है अनुवांशिक रोग 

यदि माता और पिता में  सिकल सेल का रोग नहीं है तो उनके बच्चों को यह रोग नहीं होता है। 

यदि माता अथवा पिता दोनों में से कोई भी एक व्यक्ति सिकल वाहक होगा तो 50% बच्चों को सिकल वाहक होने का और 50% बच्चे में सामान्य गुण वाले होने की सम्भावना होती है। लेकिन इसमें से किसी भी बच्चे को सिकल रोग/बीमारी नहीं होती है।

यदि माता पिता दोनों ही सिकल वाहक होंगे तो उनके 25% बच्चों को सिकल रोग, 50% बच्चे सिकल वाहक और मात्र 25% सामान्य बच्चे होने की सम्भावना रहती है।

यदि माता-पिता में से कोई भी एक व्यक्ति सिकल रोग वाला है और दूसरा व्यक्ति सामान्य है तो 100% यानी की सभी बच्चे सिकल वाहक हो सकते है परन्तु सिकल रोग नहीं ।

यदि माता-पिता दोनों में से एक व्यक्ति सिकल रोग वाला और एक व्यक्ति सिकल वाहक वाला होगा तो उनके 50% बच्चे सिकल रोग वाले होंगे और 50% बच्चे सिकल वाहक वाले होंगे।

यदि माता पिता दोनों सिकल रोग वाले होंगे तो 100% यानी की सभी बच्चे सिकल रोग वाले ही जन्म लेंगे।

अनुवांशिक रोग से बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं

वास्तविकता को स्वीकारते हुए विवाह करते समय हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि,विवाह करने वाले दोनों व्यक्तियों में सिकल वाहक अथवा सिकल रोग नहीं होना चाहिए ।
यदि दोनों व्यक्तियों में से कोई एक सिकल सेल वाहक है, या किसी एक को सिकल सेल रोग हो तो बच्चों को सिकल रोग नहीं हो सकता । लेकिन सिकल सेल वाहक होने की सम्भावना रहती है। इसलिए उचित होगा कि अस्पताल में खून की जांच करवाकर योग्य जीवन साथी पसंद करके विवाह करें ।

किस प्रकार की सावधानियाँ रखनी चाहिए

प्रतिदिन एक गोली folic acid (5 मिली ग्राम) की जरुर लेनी चाहिये। जो एनीमिया को कम करेगी और खून में नई लाल रक्त कोशिका बनाने में मदद करेगी।

सिकल सेल एनीमिया के मरीज नियमित रूप से हर तीन महीने में हीमोग्लोबिन का स्तर और श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या जाने ।

प्रत्येक सिकल सेल एनीमिया के मरीज को दिन भर में जितना संभव हो सके पानी पीना चाहिए। कम से कम 10 से 15 ग्लास पानी पिएँ।

सिकल सेल मरीज को सम्पूर्ण संतुलित खुराक/भोजन लेना चाहिए जिससे शरीर में जो विटामिनों की कमी हो वह सब उसे मिल सके ।

सिकल सेल वाले व्यक्ति को क्या नहीं करना चाहिये

ज्यादा गर्मी या धूप में बाहर न निकलें
ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ों और हिल स्टेशन पर न जाएं
ज्यादा ठंडी में बाहर न निकलें
ज्यादा तकलीफ हो तो घरेलू उपचार न करते हुए अस्पताल में डॉक्टर से सम्पर्क करें

गर्भवती महिलाओं का रखें विशेष ध्यान

यदि गर्भवती महिला में सिकल सेल टेस्ट पॉजिटिव हो तो उनके पति का भी सिकल सेल टेस्ट तत्काल करवाएं ।
यदि अज्ञानतावश माता-पिता दोनों सिकल सेल पॉजिटिव हों और महिला गर्भवती है तो गर्भस्थ शिशु का निदान करना उचित होगा। जिससे आने वाला शिशु सिकल सेल एनीमिक है कि नहीं इस बात की जानकारी मिल सके। यदि आवश्यक है तो चिकित्सक की सलाह से गर्भपात कराया जा सकता है ।

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए

स्कूल में शारीरिक श्रम /व्यायाम या भारी काम न करवाने के बारे में शिक्षक को बताएं ।
स्कूल में अभ्यास के दौरान सिकल सेल एनीमिया वाले बच्चे को बार बार पेशाब आने पर शौच जाने की अनुमति शिक्षक द्वारा दी जानी चाहिए ।
शिक्षक को आपातकालीन लक्षणों की जानकारी दें।  World Sickle Cell Day 2024 | sickle cell symptoms 

2047 तक राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन का लक्ष्य

सिकल सेल रोग के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2047 तक इस रोग को भारत से जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। जुलाई 2023 में मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में आयोजित एक कार्यक्रम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 की शुरुआत की थी।

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