BHOPAL. अब पार्टियों के साथ-साथ इलेक्शन कमीशन ने भी लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। इलेक्शन कमीशन ने जो जायजा दिया है उसके मुताबिक ये पता चलता है कि आखिर क्यों दुनिया में कोई और चुनाव भारत की बराबरी नहीं कर सकता है। भारतीय चुनाव आयोग का कहना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में लगभग 96 करोड़ वोटर मतदान के लिए योग्य होंगे। इसके लिए 12 लाख मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक 1.5 करोड़ कर्मी इन सभी केंद्रों पर चुनाव कराने के लिए तैनात किए जाएंगे।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र
बता दें कि इसीआई के मुताबिक 96 करोड़ पात्र मतदाताओं में से 47 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। वहीं पुरुषों के संख्या की बात करें तो इनकी संख्या 48.99 करोड़ है। साथ ही 48 हजार को थर्ड जेंडर के रूप में वर्गीकृत किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक 2019 के मुकाबले इस बार वोटरों की संख्या में 5.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में कुल पात्र मतदाताओं की संख्या 91.2 करोड़ थी। इसलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
करीब 2 लाख वोटर 100 साल से अधिक आयु के
ECI की रिपोर्ट की मानें तो, मतदाताओं कुल पात्र में लगभग 1 करोड़ 73 लाख 18 से 19 साल के हैं। वहीं 81 लाख दिव्यांग मतदाता हैं। 1 करोड़ 75 लाख वोटर 80 साल या उससे अधिक आयु के हैं। 80 साल से अधिक आयु के 1 करोड़ 75 लाख मतदाताओं में से लगभग 2 लाख वोटर 100 साल से अधिक आयु के हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का कहना है कि 2024 और उसके बाद मतदान में सुखद अनुभव देने के लिए इसीआई प्रतिबद्ध है। चुनाव प्रचार के दौरान वह एक समान अवसर प्रदान करने के लिए भी कमिटेड है। दुनिया में किसी अन्य जगह पर इतने बड़े पैमाने पर वोटरों और लॉजिस्टिक्स का दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है। बता दें कि ये ब्योरा ईसीआई की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 14वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर दिया गया।
क्या कहा इलेक्शन कमिश्नर अनूप चंद्र पांडे ने
इलेक्शन कमिश्नर अनूप चंद्र पांडे ने कहा कि पिछले कुछ सालों में काफी कुछ किया गया है। 1952 में 17.32 करोड़ मतदाता थे। आज ये आंकड़ा 96 करोड़ पर पहुंच चुका है। मतदान प्रतिशत पहले आम चुनाव में 45% से बढ़कर पिछले आम चुनाव में 67% हो गया है। इन सभी के बावजूद 30 करोड़ मतदाता ऐसे हैं जो मतदान नहीं करते हैं। जहां तक मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बात है तो शहरी लोगों की दिलचस्पी में कमी, युवा उदासीनता और प्रवासी श्रमिक बड़ी चुनौतियां हैं। इन तीनों मोर्चों पर ईसीआई टारगेट कर रहा है। कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का कहना है कि बीआर अंबेडकर को इस बात का श्रेय दिया कि उन्होंने शुरू से ही मतदान में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा, 'अंबेडकर ने 1928 में ही महिलाओं के वोट देने के अधिकार का मुद्दा उठाया था।