NEW DELHI. द केरला स्टोरी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इस फिल्म में लड़कियों के धर्मतांरण से लेकर उन्हें आतंकी संगठन में फंसाना और घटनाओं में समर्थन देने के लिए तैयार करने जैसा किस्सा दिखाया है। वहीं इस बीच उस शख्स ने खुली बातचीत की जो खुद को इसका पीड़ित बताती है। इस लड़की ने बताया कि कैसे ये लोग लड़कियों का ब्रेन वॉश करते हैं। कन्वर्जन हैडक्वाटर में क्या होता है, क्या कोर्स होता है। लव जिहाद का कैसा तेजाबी सिलेबस पढ़ाया जाता है, ये कोर्स कितने दिनों का होता है। इस सब के जवाब इस लड़की ने कैमरे के सामने दिए।
पीड़िता ने आपबीती सुनाते हुए ये कहा
दरअसल, ये लड़की हिंदू नहीं ईसाई है जो केरला की रहने वाली है। इस लड़की ने केरला फाइल्स के तीनों एपिसोड देखे थे इसके बाद इस लड़की ने अपना नाम बेल्ला बताया। बेल्ला के मुताबिक, जब वो स्कूल में पढ़ रही थी तब उनकी मुलाकात शाहजहां से हुई। उसने कहा, पहले हम केवल दोस्त थे, लेकिन वक्त के साथ प्यार परवान चढ़ता गया। शाहजहां जिस तरह बात करता था शायद कोई भी लड़की उसके प्यार में पड़ जाए या कहें झांसे में आ जाए। बेल्ला ने कहा, मैं इस कदर उसके झांसे में आ गई थी कि मैं तर्बियत में चली गई। वहां ये लोग सबसे पूछ रहे थे कि क्या तुम अपनी मर्जी से मुसलमान बनना चाहते हो? उसने बताया कि मुझे पहले से ही शाहजहां ने कह दिया था कि अगर कोई ऐसा सवाल करे तो इसमें तुम कहना कि हां मैं अपनी मर्जी से मुसलमान बनना चाहती हूं।
शहादत कलमा के बाद सिर से लेकर पांव तक नहलाया
बेल्ला ने बताया, अगर मैं उन्हें ये नहीं बोलती तो वो मुझे रहने नहीं देते। इसलिए शहाजहां ने मुझसे जो कुछ कहा वो सब मैंने किया। पहले हमने सीखा कि दूसरे धर्म से मुसलमान कैसे बनते हैं। वो सबसे पहले शहादत कलमा पढ़वाते हैं फिर हमें सिर से लेकर पांव तक नहलाया जाता है इसके बाद हमें मुसलमान बनाया जाता है। बेल्ला ने बताया, हमें दो महीने तक तर्बियत में रहना होता है क्योंकि उन्होंने मुसलमानों का पूरा इतिहास पढ़ाना होता है। नमाज से लेकर निस्कारा सब हमें सिखाया गया। बेल्ला ने बताया कि इस सबकी प्रक्रिया के बाद वो बेल्ला से शाहीना बन चुकी थीं।
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फातिहा, निस्कारा का दो महीने का कोर्स एक हफ्ते में किया
बेल्ला बोली, वो दो महीने वहां नहीं रही बल्कि, एक हफ्ते का कोर्स किया जिसमें उसने फातिहा, निस्कारा सीखा। साथ ही पांच तरह की नमाज थीं। फजर, जोहर, असर, मगरिब, ईशा, ये हमें करना पड़ता था। फजर दो बार पढ़नी होती थी। जोहर चार बार, असर चार बार, मगरिब तीन बार और इशा चार बार पढ़नी होती थी। इस तरह निस्कारा होता था। बेल्ला ने बताया कि इस दौरान शाहजहां वहां मौजूद नहीं था।
बाद में पता चला मैं पहली बेगम नहीं थी
बेल्ला ने कहा कि जब वो तर्बियत में गईं थी तो वहां 20 और लड़कियां मौजूद थी जो इस्लाम धर्म को अपना रही थीं। बेल्ला बोली, बाद में उसने शाहजहां से शादी कर ली। हालांकि, इसका उसके पास कोई प्रूफ नहीं था। कोई कागज नहीं था। कुछ समय बाद उसकी डिलीवरी हुई और इसी दौरान उसे पता चला कि वो शाहजहां की पहली नहीं बल्कि चौथी बेगम है। बेल्ला ने बताया शादी के 7 साल बाद साल 2022 में शाहजहां ने उसे छोड़ दिया और चला गया। बेल्ला इन दिनों अपने बच्चे के साथ मां के घर में रह रही है और उसकी परवरिश कर रही है।