पेरिस पैरालंपिक ( Paris Paralympics ) में मध्यप्रदेश के दिव्यांग खिलाड़ी अपना खेल कौशल दिखाएंगे। 28 अगस्त से 8 सितंबर तक होने वाली प्रतियोगिता में चंबल क्षेत्र की पैरा कयाकिंग और कैनोइंग खिलाड़ी प्राची यादव व पूजा ओझा अपना दम खम दिखाएंगी। वहीं सीहोर के ब्लाइंड जूडो खिलाड़ी कपिल परमार भी हिस्सा लेंगे। जबलपुर की पैरा शूटर रुबीना फ्रांसिस शूटिंग में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगी।
पैरालंपिक में 22 अलग-अलग प्रतियोगिताओं में 4 हजार से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इस साल कुल 549 पदकों के लिए खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी। आईए, आपको बताते हैं मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों की दास्तां...
प्राची यादव : लकवे की वजह से स्कूल में नहीं मिला था दाखिला
28 वर्षीय पैरा कैनोइंग खिलाड़ी प्राची यादव ग्वालियर की हैं। वे बचपन से दिव्यांग हैं। उनका बचपन संघर्षों के बीच गुजरा। कमर के नीचे के हिस्से में लकवा होने से उन्हें स्कूल ने एडमिशन देने से इनकार कर दिया था। प्राची जब 8 साल की थीं, तब उनके सिर से मां का साया उठ गया। पिता सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हैं।
4 साल पहले प्राची आर्थिक तंगहाली से जूझ रही थीं। स्थिति ये हो गई कि उन्होंने कैनोइंग छोड़ने का मन बना लिया था। फिर धीरे-धीरे स्थिति बेहतर हुई। रिश्तेदारों और खेल विभाग ने मदद की तब प्राची ने मेहनत की और अपने खेल के दम पर अर्जुन पुरस्कार तक का सफर तय किया। प्राची अब तक नेशनल और इंटरनेशनल खेलों में पांच गोल्ड और दो सिल्वर मेडल सहित दर्जनों पदक हासिल कर चुकी हैं।
पूजा ओझा: पिता ने मजदूरी की, बेटी ने नाम कमाया
कभी डकैतों के कारण बदनाम रहे भिण्ड को यहां के खिलाड़ी नई पहचान दिला रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं पूजा ओझा। पूजा 28 अगस्त से शुरू हो रहे पैरालंपिक में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगी। वे डाक विभाग, मुंबई में सेवारत हैं। उन्हें खेल कोटे से ही सरकारी नौकरी मिली है। गरीब परिवार में पली-बढ़ी पूजा बचपन से दिव्यांग हैं। पहले उन्होंने भिंड के गौरी तालाब में ड्रेगन बोट से तैयारी शुरू की। फिर कयाकिंग-कैनोइंग की बोट्स से प्रैक्टिस की।
बकौल पूजा, उनके परिवार की माली हालात ठीक नहीं थी। पिता महेश बाबू मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करने पर मजबूर थे। इसके बावजूद भी उन्होंने बेटी को हिम्मत नहीं हारने दी। हमेशा हौसला बढ़ाया और पूजा ने आज मुकाम हासिल किया है। आपको बता दें कि अब तक पूजा इंटरनेशनल चैंपियनशिप में 6 गोल्ड और 4 सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।
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रुबीना फ्रांसिस: मैकेनिक पिता ने बेटी को बनाया चैम्पियन
जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस पैरा शूटिंग में अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करेंगी। रुबीना 2017 से मध्यप्रदेश राज्य शूटिंग एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही हैं। इससे पहले पैरू के लीमा में आयोजित पैरा वर्ल्ड कप में उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल में देश को ओलंपिक कोटा दिलाया था। रूबीना की बचपन से ही रुचि थी। मोटर मैकेनिक पिता ने उनके सपने को अपना सपना बनाते हुए रूबीना के खेल को निखारने में भरपूर प्रयास किए। आज परिणाम देश के सामने हैं।
वर्ष 2017 में रूबीना ने इंटरनेशनल पैरा शूटिंग प्रतियोगिताओं में देश को दो गोल्ड और एक ब्रांच मेडल दिलाए थे। 2017 में उन्होंने बैंकाक में वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्टस चैम्पियनशिप में टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। राष्ट्रीय पैरा शूटिंग प्रतियोगिताओं में रूबीना अब तक 10 गोल्ड, 2 ब्रांच सहित 12 मेडल हासिल कर चुकी हैं।
कपिल परमार: करंट से आंख खराब हुई, आज विश्व के नंबर 2 खिलाड़ी
सीहोर निवासी कपिल परमार जूडो में अपना हुनर दिखाएंगे। उनकी कहानी दर्दभरी है। संघर्ष के बीच उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज नतीजे हम सबके सामने हैं। वे दुनिया में नंबर दो रैंक के पैरा जूडो खिलाड़ी हैं। दरअसल कपिल जब 15 वर्ष के थे, तब खेत में काम करने वक्त उन्हें बिजली का झटका लगा। इससे उनकी आंख खराब हो गई। उन्होंने अपनी इसी कमजोरी को ताकत बनाया और मैदान में उतर गए।
कपिल कहते हैं, उनके सपने को पूरा करने में परिवार वालों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। पिता ने मजदूरी की, टैक्सी चलाई। अंतत: उनकी मेहनत भी रंग लाई। कपिल ने 2017 में भोपाल में श्री ब्लिस मिशन फार पैरा एंड ब्राइट संस्था ज्वाइन की। समय के साथ उनके खेल में निखार आता गया। अब तक उन्होंने 10 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं खेली हैं, जिसमें 9 में पदक हासिल किया है।
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