पाकिस्तान के खिलाफ प्लेयर ऑफ द मैच क्रांति गौड़ का एमपी से नाता, छोटे से गांव से निकलकर दुनिया में कमाया नाम

22 साल की क्रांति गौड़ ने 5 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ 3 विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई और प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार जीता।

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Dablu Kumar
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CHHATARPUR. भारतीय तेज गेंदबाजक्रांति गौड़ ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महज 22 साल की उम्र में क्रांति ने विश्व कप जैसे बड़े मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ 5 अक्टूबर को शानदार गेंदबाजी करते हुए 3 विकेट चटकाए। उनके इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार भी मिला। क्रांति का यह सफर आसान नहीं रहा।

मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव से आने वाली क्रांति ने अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर पहली बार वर्ल्ड कप में जगह बनाई। दाएं हाथ की तेज गेंदबाज ने पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले के दौरान दबाव में रहते हुए बहुत ही संयमित गेंदबाजी की। उन्होंने अपने 10 ओवरों में 18 डॉट गेंदें फेंकी और 20 रन देकर 3 विकेट झटके। इस समय वे हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

एमपी के छोटे से गांव से आती हैं क्रांति गौड़

भारत ने पाकिस्तान को 88 रन से हराया और इसके बाद भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने भी क्रांति गौड़ की जमकर सराहना की। क्रांति अपनी गेंदबाजी से काफी खुश हैं और उनके इस बेहतरीन प्रदर्शन ने उन्हें क्रिकेट प्रेमियों के बीच एक नई पहचान दिलाई है।

दाएं हाथ की तेज गेंदबाज क्रांति गौड़ मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के घुवारा नामक छोटे से गांव की निवासी हैं। उनका गांव, जो खजुराहो से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। क्रांति छह भाई-बहनों में एक हैं, और उनके पिता एक सेवानिवृत्त पुलिस कांस्टेबल हैं, जिन्हें कुछ साल पहले ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया था।

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क्रांति गौड़ की खबर को 5 प्वाइंट में समझें

  • क्रांति गौड़ की शानदार गेंदबाजी: 22 साल की क्रांति ने 5 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ 3 विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई और प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार जीता।

  • साधारण से असाधारण सफर: मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव घुवारा से आने वाली क्रांति ने अपनी मेहनत और संघर्ष से पहली बार वर्ल्ड कप में जगह बनाई।

  • कोच की मदद और संघर्ष: क्रांति के कोच राजीव बिल्थारे ने उसकी आर्थिक मदद की, उसकी फीस माफ की और उसे जरूरी सामान मुहैया कराया, जिससे उसकी क्रिकेट यात्रा को और मजबूती मिली।

  • डब्ल्यूपीएल से बदली किस्मत: डब्ल्यूपीएल ने क्रांति की जिंदगी बदल दी, जब यूपी वारियर्स ने उन्हें 10 लाख रुपये में खरीदा, जबकि वह पहले कभी सीनियर महिला टी20 मैच नहीं खेली थीं।

  • प्रैक्टिस की कठिनाइयां: क्रांति ने बचपन में नंगे पैर और बिना क्रिकेट किट के सूखी और ऊबड़-खाबड़ ज़मीन पर क्रिकेट की प्रैक्टिस की, केवल जुनून और हौसले के साथ।


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आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर कोच ने की मदद

क्रांति के बचपन के कोच राजीव बिल्थारे ने बताया कि क्रांति 2017 से उनकी कोचिंग शुरू की थी। क्रांति के पिता उसे मेरे पास लाए थे और कहा था कि वह गांव की लड़कियों के साथ क्रिकेट खेलती है। क्या आप उसे कोचिंग दे सकते हैं? राजीव ने आगे कहा- एक अभ्यास मैच में उसे गेंदबाजी करते देख मैं बहुत प्रभावित हुआ और उसे छतरपुर आकर मेरी अकादमी में शामिल होने के लिए कहा। राजीव छतरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव भी हैं।


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कोच ने अपनी मदद का जिक्र करते हुए बताया- कुछ दिन बाद क्रांति ने मुझे बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और वह छतरपुर में नहीं रह पाएगी। तब मैंने उसकी कोचिंग की फीस माफ कर दी और उसे जूते, बैट और सभी जरूरी सामान मुहैया कराया। इसके बाद मैंने उसे कुछ दिन अपने घर पर रहने का प्रस्ताव दिया। बाद में वह अपनी दोस्त और ट्रेनिंग पार्टनर सुषमा के घर रहने लगी।

डब्ल्यूपीएल से बदली किस्मत

डब्ल्यूपीएल ने कई भारतीय महिला क्रिकेटरों की तरह क्रांति की जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। कुछ वर्षों तक वह मुंबई इंडियंस के लिए नेट बॉलर रही थीं, लेकिन इसके बाद यूपी वारियर्स ने उन्हें पिछले साल डब्ल्यूपीएल नीलामी में उनके बेस प्राइस 10 लाख में खरीदा। यूपी वारियर्स के सीओओ क्षेमल वैनगांकर ने एक इंटरव्यू में बताया था, "जब हमने नीलामी में क्रांति गौड़ को खरीदा, तब उन्होंने एक भी सीनियर महिला टी20 मैच नहीं खेला था। लेकिन ट्रायल्स के दौरान, हमारे स्काउट्स को यह महसूस हुआ कि उनमें कुछ खास है।

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ऊबड़-खाबड़ जमीन पर करती थीं प्रैक्टिस

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गांव में 12 साल की उम्र क्रांति अपने घर के सामने नंगे पैर क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करती थी। हर दिन सूखी और ऊबड़-खाबड़ ज़मीन पर खेलते हुए, उसके पास न तो जूते थे, न ही क्रिकेट किट, लेकिन था तो सिर्फ हौसला और जुनून।

छह भाई-बहनों में सबसे छोटी क्रांति ने बचपन में ही यह देखा कि उसके माता-पिता रोज़मर्रा की जिंदगी जीने के लिए कितनी मेहनत करते हैं। आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली क्रांति गौड़ की शुरुआत टेनिस बॉल क्रिकेट से हुई थी, जहां वह लड़कों के साथ खेला करती थीं, क्योंकि उनके गांव में कोई लड़की क्रिकेट नहीं खेलती थी।

क्रिकेट का कोई खास ज्ञान नहीं था- क्रांति

शुरुआत में क्रांति केवल लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा- मुझे क्रिकेट का कोई खास ज्ञान नहीं था, लेकिन दिल में बस एक जुनून था। उनके जीवन का पहला मैच लेदर की बॉल से खेला गया था, जो उनके क्रिकेट सफर की शुरुआत थी। इंडिया पाकिस्तान मैच में क्रेज काफी ज्यादा होता है। ऐसे में क्रांति गौड़ ने भारत बनाम पाकिस्तान मैच में अपनी शानदार गेंदबाजी से सभी का दिल जीत लिया। 

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