हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब सबकी निगाहें महाराष्ट्र ( Maharashtra ) की राजनीति पर हैं। शुक्रवार को महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक तब हलचल मच गई जब महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक से डिप्टी सीएम अजित पवार ( Deputy Chief Minister of Maharashtra ) अचानक बाहर निकल गए। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गईं कि क्या डिप्टी सीएम पवार NDA से नाराज हैं और अपना पक्ष बदलने की सोच रहे हैं।
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'कोई मनमुटाव नहीं'
इन अटकलों पर विराम लगाते हुए अजित पवार ने कहा कि उनका और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच कोई मनमुटाव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कैबिनेट की मीटिंग देर से शुरू हुई और उन्हें पहले से तय मीटिंग के लिए जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि उन्हें फ्लाइट लेनी थी और फिर किसानों की बैठक के लिए अहमदपुर जाना था। पवार ने बताया कि उन्होंने इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पहले ही दे दी गई थी।
'दरकिनार करने की हो रही कोशिश'
महा विकास अघाड़ी ( Maha Vikas Aghadi ) ने इस घटना को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि अजित पवार को कैबिनेट मीटिंग में दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है। वडेट्टीवार का आरोप है कि अजित पवार की गैरमौजूदगी में करीब 38 बड़े फैसले लिए गए, जिनमें वित्तीय फैसले भी शामिल थे, जबकि पवार वित्त विभाग का कार्यभार संभाल रहे हैं।
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महायुति गठबंधन की चुनौतियां
महायुति के सहयोगी दलों ने अभी तक महाराष्ट्र विधानसभा की 228 सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया है। उम्मीद है कि यह प्रक्रिया जल्द पूरी होगी। आपको बता दें कि पिछले साल जुलाई में अजित पवार और उनके समर्थक विधायक शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे NCP में फूट पड़ गई थी।
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