KOLKATA. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 23 जुलाई को पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया। बताया गया है कि उन्हें शिक्षक भर्ती घोटाले (SSC Scam) के मामले में अरेस्ट किया गया है। एक दिन पहले (22 जुलाई) ही उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर पर भी ईडी की रेड पड़ी थी। इस छापे में करीब 20 करोड़ रुपए मिलने का दावा किया गया।
रातभर चली पूछताछ
ईडी के अधिकारियों ने कथित शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में चटर्जी से 22 जुलाई को रातभर (करीब 26 घंटे) पूछताछ की। एजेंसी के अधिकारियों ने चटर्जी से आवास पर 22 जुलाई सुबह 8 बजे से पूछताछ शुरू की थी, इसके बाद 23 जुलाई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जब यह कथित घोटाला हुआ था, तब चटर्जी बंगाल के शिक्षा मंत्री थे। प्रवर्तन निदेशालय इस घोटाले में कथित रूप में शामिल लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है।
पार्थ से पहले भी पूछताछ हुई, एक और मंत्री घेरे में
पार्थ चटर्जी अभी उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री हैं। सीबीआई दो बार उनसे पूछताछ कर चुकी है। पहली बार 25 अप्रैल को और दूसरी बार 18 मई को पूछताछ की गई थी। पश्चिम बंगाल के शिक्षा राज्यमंत्री परेश अधिकारी से भी सीबीआई पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा उनकी बेटी अंकिता अधिकारी स्कूल शिक्षक की अपनी नौकरी गंवा चुकी हैं।
आरोप है कि मंत्री परेश अधिकारी ने अपने प्रभाव से बेटी अंकिता को एसएससी में बिना मेरिट लिस्ट में नाम आए शिक्षिक की नौकरी दिलवाई। हालांकि, बाद में कोलकाता हाईकोर्ट ने अंकिता को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश दिया। ये भी कहा था कि उन्होंने जो सैलरी उन्होंने ली है, उसे वापस जमा कराया जाए।
मंत्री की करीबी सहयोगी के घर मिले 20 करोड़
जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर पर भी ईडी ने छापा मारा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान ईडी ने करीब 20 करोड़ रुपए कैश मिले। इस कार्रवाई की जो तस्वीर सामने आईं, उसमें 500 और 2000 के नोटों का एक बड़ा पहाड़ देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अर्पिता के अलावा ईडी ने कई और ठिकानों पर छापे मारे हैं। इस सूची में मंत्री पार्थ चटर्जी, माणिक भट्टाचार्य, आलोक कुमार सरकार, कल्याणमय गांगुली जैसे नाम शामिल बताए गए हैं।
क्या है शिक्षा भर्ती घोटाला?
राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत शिक्षक और अन्य पदों पर नियुक्तियों के लिए स्कूल सेवा आयोग ने 2016 में परीक्षा आयोजित की थी। उसके नतीजे 27 नवंबर 2017 को आए। इसमें सिलीगुड़ी की बबीता सरकार का नाम टॉप 20 में शामिल था, लेकिन आयोग ने वह लिस्ट रद्द कर दी। बाद में निकली सूची में बबीता का नाम तो वेटिंग लिस्ट में चला गया, लेकिन उससे 16 नंबर कम पाने के बावजूद मंत्री की बेटी अंकिता का नाम टॉप पर आ गया।
कोर्ट ने बनाई थी कमेटी
कोर्ट ने पहले इस कथित घोटाले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की सिफारिश की थी.
सीबीआई को सौंपी गई थी जांच
इस समिति ने ग्रुप-D और ग्रुप- C पदों पर नियुक्तियों में अनियमितता पाई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्रुप-C और ग्रुप-D में 609 कई नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं। इसने राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी। अदालत ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।