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NEW DELHI. अब आपके लिए असली और नकली दवाइयों को पहचानना बेहद आसान हो जाएगा। आप दवाओं पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके फौरन पहचान लेंगे कि दवा असली है या नकली। दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने की तैयारी पिछले साल से शुरू हो गई थी। 1 अगस्त से 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने का आदेश देकर सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है।
दवाइयों पर बार कोड लगाएंगी फार्मा कंपिनयां
सरकार ने नकली दवाओं पर नकेल कसने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में संशोधन करते हुए फार्मा कंपनियों को अपने ब्रांड पर H2/QR लगाना अनिवार्य कर दिया है। ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने फार्मा कंपनियों को अपनी दवाओं पर बार कोड लगाने के सख्त निर्देश दिए हैं।
दवा के बारे में हर जानकारी देगा QR कोड
क्यूआर कोड स्कैन करते ही आपको दवा के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी। क्यूआर कोड वाली दवाओं में एलिग्रा, शेलकेल, काल्पोल, डोलो और मेफ्टेल शामिल हैं। क्यूआर कोड स्कैन करते ही आपको दवा का जेनेरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्यूफैक्चरिंग डीटेल, एक्सपायरी डेट और लाइसेंस नंबर जैसी जानकारी मिल जाएंगी। सरकार के निर्देश नहीं मानने पर फार्मा कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
नकली दवाओं पर सरकार का रुख सख्त
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि नकली दवाओं को लेकर सरकार का रुख बहुत सख्त है। नकली दवा को लेकर सरकार 'बर्दाश्त नहीं करने' की नीति का पालन करती है। दवाइयों पर क्यूआर कोड अनिवार्य होने से नकली दवाओं की रोकथाम होगी।
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भारत की छवि खराब होने का डर
नकली दवाओं की वजह से अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होता है। भारत दवाखाने के तौर पर दुनियाभर में मशहूर है। हाल ही में भारत की कंपनियों के बनाए कफ सीरप से दूसरे देशों में मौत के केस सामने आए हैं। इससे देश की छवि खराब होने का डर है। केंद्र सरकार ने 71 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वहीं 18 फार्मा कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया है।