अटकलों के बीच मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह का ट्वीट- इस्तीफा नहीं दूंगा, समर्थक महिलाओं ने फाड़ दिया था रिजाइन लैटर

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Atul Tiwari
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अटकलों के बीच मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह का ट्वीट- इस्तीफा नहीं दूंगा, समर्थक महिलाओं ने फाड़ दिया था रिजाइन लैटर

IMPHAL. मणिपुर में जारी हिंसा के बीच सीएम एन बीरेन सिंह ने साफ कर दिया है कि वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। इससे पहले कई महिलाओं ने सीएम एन बीरेन सिंह का इस्तीफा पत्र फाड़ दिया था। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का प्लान था कि राजभवन जाकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलेंगे। इस मुलाकात के दौरान वो राज्यपाल को अपना इस्तीफा पत्र सौंपने वाले थे।



30 जून की सुबह बीरेन सिंह राज्यपाल भवन के लिए निकले थे। इस बीच कुछ महिला समर्थकों ने राजभवन के बाहर सड़क पर जाम लगा दिया और सीएम के काफिले को आगे नहीं जाने दिया। इसके बाद कुछ महिला समर्थकों ने उनके इस्तीफे को फाड़ दिया और उनसे रिजाइन ना करने का अनुरोध किया।




— N.Biren Singh (@NBirenSingh) June 30, 2023



29 जून को फिर भड़की थी हिंसा



मणिपुर में 29 जून को फिर से भड़की हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई और 5 घायल हो गए। इससे एन बीरेन सिंह के सीएम पद से इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई थीं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, महिला नेता क्षेत्रमयुम शांति ने कहा, 'इस महत्वपूर्ण मोड़ पर बीरेन सिंह सरकार को दृढ़ रहना चाहिए और उपद्रवियों पर नकेल कसनी चाहिए।'



मणिपुर के दौरे पर राहुल गांधी



राज्य में बिगड़े माहौल के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मणिपुर के दौरे पर हैं और राहत शिविरों में जाकर प्रभावितों से मुलाकात कर रहे हैं। उधर, बीजेपी राहुल की विजिट को राजनीति से प्रायोजित बता रही है। विपक्ष के हमले के बीच 25 जून को ही सीएम एन बीरेन सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। 24 जून को मणिपुर की स्थिति को लेकर शाह ने 18 पार्टियों के साथ सर्वदलीय बैठक की थी। बैठक में सपा और आरजेडी ने मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी। साथ ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की थी।  



बीजेपी बहुमत से बनी थी सरकार



2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीट जीत कर बीजेपी ने सत्ता में वापसी की थी। बीजेपी 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों की तुलना में सिर्फ 21 सीटें होने के बावजूद दो स्थानीय दलों- एनपीपी और एनपीएफ के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने में सफल रही थी। हालांकि, 2022 में  बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ा और राज्य की सत्ता पाने में कामयाब रही।  



तीन मई से शुरू हुई थी हिंसा 



मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया गया था, जिसके बाद हिंसा शुरू हो गई थी। राज्य की 53% आबादी मैतेई समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40% है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।



शांति के लिए अब तक क्या-क्या हुआ?



केंद्र सरकार ने मणिपुर में हो रही हिंसा की जांच के लिए 4 जून को एक आयोग का गठन किया। आयोग की अध्यक्षता गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अजय लांबा कर रहे हैं। गृह मंत्रालय के मुताबिक, ये आयोग तीन मई और उसके बाद मणिपुर में हुई हिंसा और दंगों के कारणों की जांच करेगा।



ऐसे हुई थी दंगों की शुरुआत




  • 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला। ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई। इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।


  • 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को तैनात किया गया।

  • ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा मांग कर रहा है।

  • 20 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था। इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था। इसके लिए हाई कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है। 

  • मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए। उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला।


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