मणिपुर हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत, सीएम एन बीरेन सिंह ने की ऑल पार्टी मीटिंग; हालात सामान्य करने के लिए काम करने के निर्देश

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Rahul Garhwal
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मणिपुर हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत, सीएम एन बीरेन सिंह ने की ऑल पार्टी मीटिंग; हालात सामान्य करने के लिए काम करने के निर्देश

IMPHAL. मणिपुर हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है। सीएम एन बीरेन सिंह ने शनिवार को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई। इसमें उन्होंने सभी नेताओं से पार्टी लाइन से हटकर तनाव कम करने और स्थिति को सामान्य करने के लिए काम करने के निर्देश दिए। नेताओं ने इसे लेकर सहमति जताई।



मणिपुर हिंसा में 54 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल



मणिपुर हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। घायलों का RIMS इंफाल और जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में चल रहा है।



सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बीजेपी विधायक



मणिपुर के बीजेपी विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। 19 अप्रैल को हाईकोर्ट ने मणिपुर सरकार को मैतेई समुदाय के लोगों को ST कैटेगरी में शामिल करने पर विचार करने के लिए कहा था। इसे आदेश के बाद एक मार्च निकाला गया और हिंसा भड़की थी।



बीजेपी विधायक ने क्या कहा?



बीजेपी विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई ने कहा है कि मैतेई समुदाय एक जनजाति नहीं है और इसे कभी इस रूप में मान्यता भी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि ये आदेश देना हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस पर सिर्फ राज्य सरकार फैसला ले सकती है। ये आदेश अवैध है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को यह समझना चाहिए था कि ये राजनीतिक मुद्दा है और इसमें हाईकोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। हाईकोर्ट के इस फैसले से आदिवासियों के बीच गलतफहमी पनपी और तनाव बढ़ा। उन्होंने SC से हाईकोर्ट के इस आदेश पर स्टे लगाने की मांग की है।



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मणिपुर में NEET एग्जाम पोस्टपोन



मणिपुर के ताजा हालातों को देखते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने राज्य में NEET-UG के एग्जाम पोस्टपोन कर दिए हैं। जिन स्टूडेंट्स को मणिपुर सेंटर मिला है उनके एक्जाम बाद में कराए जाएंगे। मणिपुर के करीब 1100 लोगों ने असम में शरण ली है। आपको बता दें कि मणिपुर में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए थे।



मणिपुर में हिंसा क्यों भड़की?



मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद हिंसा भड़क गई। इस आदेश में सरकार को निर्देश दिया था कि वो 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करने पर विचार करे जिसमें गैर-जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी।


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