मणिपुर हिंसा पर RSS चीफ मोहन भागवत ने सरकार को घेरा

मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए...

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Jitendra Shrivastava
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आरएसएस चीफ ( RSS Chief ) मोहन भागवत सोमवार, 10 जून को नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में शामिल हुए। यहां भागवत ने चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने कहा- जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है।

चुनाव झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए

मोहन भागवत ने कहा कि जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। भागवत ने मणिपुर हिंसा पर कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए।

इन बातों पर केंद्रित रहा भागवत का भाषण...

1. चुनाव क्यों? कैसे? जीता, संघ इसमें नहीं पड़ता

लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद बाहर का माहौल अलग है। नई सरकार भी बन गई है। ऐसा क्यों हुआ, संघ को इससे मतलब नहीं है। संघ हर चुनाव में जनमत को परिष्कृत करने का काम करता है, इस बार भी किया, लेकिन नतीजों के विश्लेषण में नहीं उलझता। लोगों ने जनादेश दिया है, सब कुछ उसी के अनुसार होगा। क्यों? कैसे? संघ इसमें नहीं पड़ता। दुनियाभर में समाज में बदलाव आया है, जिससे व्यवस्थागत बदलाव हुए हैं। यही लोकतंत्र का सार है।

2. हमारी परंपरा आम सहमति बनाने की है

जब चुनाव होता है, तो मुकाबला जरूरी होता है, इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है।  यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। लोग क्यों चुने जाते हैं कि संसद में जाने के लिए, विभिन्न मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए। हमारी परंपरा आम सहमति बनाने की है।

3. हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं

संसद में दो पक्ष क्यों होते हैं? ताकि, किसी भी मुद्दे के दोनों पक्षों को संबोधित किया जा सके। किसी भी सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं। अगर एक पक्ष दूसरे पक्ष को संबोधित करता है, तो विपक्षी दल को दूसरे आयाम को संबोधित करना चाहिए, ताकि हम सही निर्णय पर पहुंच सकें।

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