दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आखिरकार जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ईडी और सीबीआई केस में शुक्रवार यानी आज जमानत दे दी। इसी के साथ शुक्रवार शाम को सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आ गए। उनकी रिहाई के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। अब सवाल यही है कि सरकार में उनकी क्या भूमिका होगी? क्या उन्हें दोबारा डिप्टी सीएम बनाया जाएगा? फिलहाल पार्टी की तरफ से इसे लेकर कोई बयान सामने नहीं आया है।
तिहाड़ जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया,देखें
— TheSootr (@TheSootr) August 9, 2024
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में देरी की वजह से सिसोदिया को राहत दी है। इसी के साथ कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जमानत के मामले में हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट सेफ गेम खेल रहे हैं।
सजा के तौर पर जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता। अब समय आ गया है कि अदालतें समझें कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है। आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता को पिछले साल 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। वह तब से ही तिहाड़ जेल में बंद थे।
सिसोदिया की अपील स्वीकार
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सिसोदिया को 10 लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी है। बेंच ने कहा अपील स्वीकार की जाती है। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है। उन्हें ईडी और सीबीआई दोनों केसों में जमानत दी गई है।
इन शर्तों पर मिली जमानत
दरअसल सर्वोच्च अदालत ने सिसोदिया को तीन शर्तों पर जमानत दी है। पहला ये कि उन्हें 10 लाख रुपए का मुचलका भरना होगा। इसके अलावा उन्हें दो जमानतदार पेश करने होंगे। वहीं, तीसरी शर्त यह है कि वह अपना पासपोर्ट सरेंडर कर देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही के बारे में बताया
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाने से पहले जमानत को लेकर अब तक की गई कार्यवाही के बारे में बताया। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया को निचली अदालत फिर हाई कोर्ट जाने के लिए कहा गया था। अगर राहत नहीं मिलती है तो सुप्रीम कोर्ट आने के लिए भी कहा गया था। इसके बाद ही मनीष सिसोदिया ने दोनों अदालत में याचिका दाखिल की थी।
अलग- अलग अर्जियां दाखिल
इस मामले में ED की तरफ से कहा गया की अलग-अलग आरोपियों की तरफ से कई याचिकाएं दाखिल की गईं हैं। वहीं, सिसोदिया ने जो अर्जियां दाखिल की हैं, उसमें ज्यादातर अपनी पत्नी से मिलने या फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए थी। सीबीआई मामले में 13 और ED मामले में 14 अर्जियां दाखिल की गई थीं।
ट्रायल में देरी क्यों
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई मामले में 13 और ED मामले में 14 अर्जियां दाखिल की गई थीं। ये सभी अर्जियां निचली अदालत ने मंजूर की थी। निचली अदालत ने अपने आदेश में जो कहा था कि मनीष की अर्जियों की वजह से ट्रायल शुरू होने में देरी हुई, वो सही नहीं है।
इसके आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि अर्जियों की वजह से ट्रायल में देरी हुई। इस मामले में 8 आरोपपत्र ED के द्वारा दाखिल हुए हैं। ऐसे में जब जुलाई में जांच पूरी हो चुकी है तो ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ। हाई कोर्ट और निचली अदालत ने इन तथ्यों को अनदेखा किया है।
हाईकोर्ट ने की थी जमानत याचिका खारिज
मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने 6 अगस्त को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। क्योंकि हाईकोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
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