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देश दुनिया न्यूज: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक संवाद कार्यक्रम में भाजपा और संघ के रिश्तों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि संघ और भाजपा के बीच कोई विवाद नहीं है, लेकिन मतभेद हो सकते हैं। भागवत का यह बयान तब आया जब देशभर में संघ और भाजपा के रिश्तों को लेकर चर्चा तेज हो गई थी।
सरकार को सलाह देना
भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ कभी भी सरकार के फैसले नहीं लेता। उनका कहना था कि यह धारणा गलत है कि संघ ही सरकार के फैसले तय करता है। वे केवल सलाह देने का कार्य करते हैं, और निर्णय सरकार द्वारा लिया जाता है। "अगर हम फैसले तय करते तो इतनी देर नहीं होती," भागवत ने कहा। यह बयान उन अटकलों को खत्म करने के लिए था, जो कहती थीं कि संघ भाजपा सरकार पर अधिक प्रभाव डालता है।
संघ-भाजपा के रिश्ते
भागवत ने यह भी कहा कि भाजपा और संघ के बीच मनभेद नहीं हो सकते। उनका मानना है कि RSS और भाजपा के रिश्ते हमेशा सकारात्मक रहे हैं और यही उनके कामकाजी तालमेल की कुंजी है। उनके मुताबिक, भाजपा से लेकर सभी सरकारों तक संघ का अच्छा संबंध रहा है।
मोहन भागवत की बड़ी बातें👉 भागवत ने तकनीकी शिक्षा का विरोध नहीं किया, लेकिन नई तकनीक का सही उपयोग जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि विदेशी शिक्षा ने हमें अंग्रेजों का गुलाम बना दिया। नई शिक्षा नीति में पंचकोशीय शिक्षा का विचार रखा गया है। 👉 भागवत ने कहा कि जब प्रणव मुखर्जी संघ के मंच पर आए, तो उनकी गलतफहमी दूर हो गई। अन्य राजनीतिक दलों के मन भी बदल सकते हैं। अच्छे काम के लिए जो मदद मांगते हैं, उन्हें मदद मिलती है। मदद तब दी जाती है जब वे उसे चाहते हैं, अन्यथा नहीं। 👉 भागवत ने बताया कि संघ का सभी सरकारों से अच्छा संबंध रहा है, न सिर्फ बीजेपी सरकार से। उन्होंने कहा कि हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं है। संघ का यह कहना कि वह सरकार में सब कुछ तय करता है, गलत है। संघ केवल सलाह देता है, लेकिन निर्णय सरकार खुद ही लेती है। अगर संघ फैसले तय करता, तो इतना समय नहीं लगता। 👉 भागवत ने कहा कि डेमोग्राफी में बदलाव से देश का बंटवारा हो सकता है। जनसंख्या के साथ-साथ इरादा भी महत्वपूर्ण है। धर्म व्यक्तिगत चॉइस है, और उसे लोभ-लालच से नहीं बदला जाना चाहिए। इस पर रोक लगानी चाहिए। 👉 भागवत ने कहा कि सभी का डीएनए एक है, लेकिन देश अलग-अलग होते हैं। यूरोप में भी कुछ देशों का डीएनए एक है। डीएनए एक होने का मतलब यह नहीं कि घुसपैठ की जाए। नियम-कानून तोड़कर कोई देश में नहीं आ सकता। परमिशन लेकर आना चाहिए। घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार प्रयासरत है। |
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नए बिल पर प्रतिक्रिया/sootr/media/post_attachments/a9ce9f96-63a.jpg)
मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को जेल जाने पर पद से हटाने के संबंध में प्रस्तावित नए बिल पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि नेताओं की छवि साफ होनी चाहिए, और यह निर्णय संसद को लेना चाहिए, न कि संघ को। उनका मानना था कि नेतृत्व का साफ और ईमानदार होना जरूरी है, ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
RSS के 100 साल: दिल्ली में कार्यक्रम
दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित RSS के 100 साल पूरे होने के कार्यक्रम के दौरान भागवत ने यह महत्वपूर्ण बयान दिए। इस कार्यक्रम का आयोजन तीन दिन तक चला, जिसमें कई विशेषज्ञों और विचारकों ने हिस्सा लिया। भागवत ने इस कार्यक्रम के दौरान एक प्रश्नोत्तर सत्र में भी भाग लिया, जहां उन्होंने संघ के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
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