मानसून 2025 : देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश से हाहाकार, बाढ़ और जलभराव बना चुनौती, जानें राज्यवार स्थिति

2025 के मानसून सत्र में भारत के विभिन्न हिस्सों में बारिश का असर अलग-अलग रहा। कुछ राज्य भारी बारिश से प्रभावित हुए, जबकि कुछ हिस्सों में बारिश कम हुई। इस बारिश का लोगों की दिनचर्या, नदी-नाले और डैम की स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। 

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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मानसून 2025: मानसून सत्र में भारत में अब तक की बारिश का पैटर्न अलग रहा। कुछ राज्यों में भारी बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति बनी, जबकि अन्य हिस्सों में सूखा पड़ा।

अब तक भारत में मानसून के दौरान 10% अधिक बारिश हुई है। इसका असर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से हुआ है। कुछ क्षेत्रों में बाढ़ तो कुछ में सूखा देखा गया है।

उत्तर भारत में बारिश का प्रभाव

उत्तर भारत में 2025 के मानसून सत्र के दौरान भारी बारिश हुई है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब में अत्यधिक बारिश ने जलभराव और बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न की हैं।

कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भी बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर आ गए हैं। राजस्थान में बारिश की कमी के कारण सूखा पड़ा है, जिससे जलसंसाधनों पर दबाव बढ़ गया है।

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दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर जलभराव की समस्या बनी रही, जिससे यातायात में दिक्कतें आईं।

पंजाब और कश्मीर में भी भारी बारिश ने बाढ़ जैसी स्थिति पैदा की।

पूर्वी भारत का मौसम अपडेट

पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उड़ीसा में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर आ गईं। इन राज्यों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हुई, जिससे सड़कों पर भारी जलभराव और ट्रैफिक जाम देखा गया।

असम और मेघालय में भी भारी बारिश ने बाढ़ की स्थिति उत्पन्न की। इन राज्यों में किसानों की फसलें नष्ट हो गईं, जिससे खाद्य संकट भी उत्पन्न हो सकता है।

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पश्चिम बंगाल और बिहार में बाढ़ ने किसानों के लिए गंभीर संकट उत्पन्न किया।

झारखंड और उड़ीसा में बारिश के कारण जलभराव और बाढ़ जैसी स्थितियाँ बनीं।

पश्चिम भारत में मानसून का असर

गुजरात और महाराष्ट्र में मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश हुई है। मुंबई और पुणे जैसे शहरों में जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हुई।

गोवा और कर्नाटका में भी अधिक बारिश के कारण नदी-नालों का जलस्तर बढ़ा, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। इन राज्यों में भारी बारिश के कारण किसानों की फसलें भी प्रभावित हुईं और लोगों की दिनचर्या में भारी बदलाव आया।

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गुजरात और महाराष्ट्र में भारी बारिश ने बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न की।

गोवा और कर्नाटका में नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा रहा।

दक्षिण भारत में भारी बारिश का असर

केरल और तमिलनाडु में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर रही हैं। इन राज्यों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कर्नाटका और तेलंगाना में भी अधिक बारिश के कारण नदी-नालों का जलस्तर बढ़ा, जिससे बाढ़ की संभावना बनी। आंध्र प्रदेश में भी मानसून की अधिक बारिश ने जलाशयों और कृषि पर गहरा असर डाला है।

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केरल और तमिलनाडु में नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की स्थिति बन गई है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी बारिश का प्रभाव किसानों और जलाशयों पर पड़ा है।

बारिश, नदी-डैम की स्थिति और बाढ़ की संभावना के राज्यवार आंकड़े 

राज्य

बारिश (इंच में)

नदी और डैम की स्थिति

बाढ़ और खतरे की संभावना

उत्तर प्रदेश 14 यमुना, गंगा, कोसी, नर्मदा बढ़े जलस्तर बाढ़ की संभावना, जलभराव की स्थिति
मध्यप्रदेश 12 नर्मदा, कृष्णा और अन्य नदियाँ बढ़ी जलस्तर कई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा
गुजरात 15 साबरमती और अन्य नदियां उफान पर बाढ़ की स्थिति, नदी का जलस्तर बढ़ा
महाराष्ट्र 16 भीम, कृष्णा और अन्य नदियां उफान पर बाढ़ की संभावना, नदी उफान पर
पंजाब 10 रावी, सतलुज नदी में जलस्तर बढ़ा जलभराव के कारण बाढ़ की स्थिति
बिहार 13 गंगा, कोसी में बाढ़ की स्थिति बाढ़ का खतरा, राहत कार्य जारी
पश्चिम बंगाल 18 हुगली, बृहि हांदी नदी में बाढ़ की स्थिति जलभराव, राहत कार्यों की आवश्यकता
तमिलनाडु 14 पेरियार नदी में जलस्तर में वृद्धि बाढ़ की संभावना, राहत कार्य चल रहे हैं
केरल 20 चेंबूर, मीनाचिल नदी में जलस्तर बढ़ा बाढ़ और जलभराव की स्थिति
राजस्थान 8 कालीसिंध नदी में जलस्तर बढ़ा सूखा और जल की कमी

राज्यवार बारिश और इसका असर...

मध्यप्रदेश:

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(कोलार डैम)

मध्यप्रदेश में भारी बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर हैं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसे शहरों में जलभराव से सड़कों पर ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो गई है। 

फसलें नष्ट हो गईं, और कई जगहों पर बाढ़ की स्थिति बनी रही। प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज किया है, लेकिन अब भी कई क्षेत्रों में पानी की निकासी समस्या बनी हुई है।

उत्तर प्रदेश:

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 (यमुना नदी)

उत्तर प्रदेश में अत्यधिक बारिश से यमुना, गंगा और अन्य नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। कई शहरों में बाढ़ का खतरा है, और वहां के लोग सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किए जा रहे हैं। गन्ना, धान और अन्य कृषि उत्पादों की फसलें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं, जिससे किसानों की स्थिति गंभीर हो गई है।

गुजरात और महाराष्ट्र:

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(महाराष्ट्र का कोयना डैम)

गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष रूप से मुंबई और पुणे जैसे शहरों में जलभराव और सड़क यातायात में भारी रुकावट आई है। बाढ़ के कारण स्थानीय लोगों को अस्थायी राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ने के कारण बांधों का दबाव भी बढ़ा है, जिससे बाढ़ के पानी को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को कड़ी मेहनत करनी पड़ी है।

केरल और तमिलनाडु:

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(केरल का इडुक्की डैम)

केरल और तमिलनाडु में भारी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण बाढ़ की स्थिति बन गई है। केरल में कई जगहों पर भूस्खलन की घटनाएं भी देखी गईं। तमिलनाडु में किसानों को भारी नुकसान हुआ है क्योंकि कृषि क्षेत्र में बाढ़ के कारण फसलें नष्ट हो गई हैं।

नदी-नाले और डैम की स्थिति

भारत के विभिन्न डैमों में जलस्तर अधिक बढ़ने के कारण बांधों को खाली करने के आदेश दिए गए हैं। नर्मदा, गंगा, यमुना, और कोसी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। कुछ प्रमुख डैमों जैसे विहारी, हिराकुड, और कर्णाल में पानी का स्तर बढ़ने के कारण प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है।

गंगा और यमुना नदियों के आसपास के इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो सकती है, जिससे अधिकतम जलस्तर के कारण लोगों के लिए खतरा बढ़ सकता है। कुछ स्थानों पर नदियों को नियंत्रण में रखने के लिए राहत कार्यों में मदद की जा रही है, लेकिन स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।

निष्कर्ष...

2025 के मानसून सत्र में भारत में बारिश ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है। जहां कुछ राज्य भारी बारिश से जूझ रहे हैं, वहीं कुछ हिस्सों में जलस्रोतों की कमी भी एक चुनौती बन गई है। नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा है, जबकि डैमों का पानी भी बढ़ने के कारण प्रशासन राहत कार्यों में जुटा हुआ है। 

बारिश के इस प्रभाव ने लोगों की दिनचर्या को प्रभावित किया है और कृषि क्षेत्र को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। राज्यवार डेटा और राहत कार्यों की स्थिति पर नजर रखनी होगी ताकि जलवायु परिवर्तन के इस प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके।

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