नए नहीं, पुराने संसद भवन में ही होगा मानसून सत्र, 23 दिनों में होंगी कुल 17 बैठकें, इस मुद्दे पर हो सकता है हंगामा 

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Pratibha Rana
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नए नहीं, पुराने संसद भवन में ही होगा मानसून सत्र, 23 दिनों में होंगी कुल 17 बैठकें, इस मुद्दे पर हो सकता है हंगामा 

New Delhi. संसद के आगामी मानसून सत्र को लेकर हाल ही में संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीपीए) की बैठक हुई थी। इसके बाद सामने आया था कि जुलाई के तीसरे सप्ताह से इसकी शुरुआत हो सकती है, वहीं अब इसकी तारीख भी सामने आ चुकी है। इसी के साथ यह भी तय हो गया है कि इस बार मानसून सत्र नए संसद भवन में होगा या पुराने में। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने सोमवार (3 जुलाई) को आगामी मानसून सत्र के स्थान को लेकर लग रही अटकलों पर विराम लगाते हुए साफ कर दिया कि संसद का मानसून सत्र पुरानी इमारत में शुरू होगा। सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा। हालांकि नए संसद भवन में सत्र नहीं कराने की वजह सामने नहीं आ सकी है। इस बार का सत्र हंगामेदार होने की संभावना है, क्योंकि विपक्ष समान नागरिक संहिता (UCC), मणिपुर हिंसा, बेरोजगारी समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। 



20 जुलाई से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र



सोमवार (3 जुलाई) को एक ट्वीट में जोशी ने कहा, 'संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। सभी दलों से मानसून सत्र के दौरान विधायी कामकाज और अन्य विषयों पर सार्थक चर्चा में योगदान देने का आग्रह करता हूं।' उन्होंने कहा कि 23 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में कुल 17 बैठके होंगी।



सभी दलों से रचनात्मक योगदान की अपील



केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैं सभी दलों से सत्र के दौरान रचनात्मक योगदान की अपील करता हूं। उम्मीद है कि सरकार के पास सत्र के लिए महत्वपूर्ण विधायी एजेंडा होगा।' उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन किया था।



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इस मुद्दे पर हो सकता है हंगामा



गौरतलब है कि मानसून सत्र में इस बार दिल्ली में उपराज्यपाल को अधिक प्रशासनिक शक्तियां देने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश की जगह आने वाले विधेयक पर हंगामा देखने को मिल सकता है। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर विधेयक के खिलाफ समर्थन मांग रहे हैं। केंद्र का यह अध्यादेश दिल्ली सरकार को सेवाओं पर अधिक विधायी और प्रशासनिक नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के 11 मई, 2023 के फैसले को रद्द करता है। साथ ही यह ऐसे मामलों में उपराज्यपाल को फैसले लेने का अधिकार देता है। इसी के साथ बेरोजगारी, मणिपुर हिंसा समेत कई मुद्दे भी होंगे।

 


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