सनातन धर्म में मान्यता के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी मनाई जाती है। इस दिन देवाधि देव भगवान महादेव के साथ नाग देवता की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन के सभी दुख-कष्टों से छुटकारा मिलता है और नागदेवता घर के सदस्यों की रक्षा करते हैं।
नागपंचमी के दिन नाग देवता के 8 स्वरूप ( वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र ) की पूजा की जाती है। इस साल 9 अगस्त को बेहद शुभ संयोग में नाग पंचमी मनाई जाएगी। आइए जानते हैं नागपंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि...
नागपंचमी कब है ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल नागपंचमी तिथि का आरंभ 9 अगस्त 2024 को सुबह 8: 15 पर होगा और अगले दिन यानी 10 अगस्त 2024 को सुबह 6 बजकर 9 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए 9 अगस्त 2024 को नागपंचमी मनाया जाएगा।
नागपंचमी पर बनेंगे कई संयोग
इस साल नागपंचमी के मौके पर शिववास योग, सिद्ध योग,साध्य योग,बव और बालव, करण योग और हस्त नक्षत्र के शुभ संयोग में नागपंचमी मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
नागपंचमी के मौके पर सुबह 06:01 से लेकर 08:37 तक पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त बन रहा है। इस दौरान आप भी भगवान शिव के साथ नागदेवता की पूजा कर सकते हैं।
इस मंत्र का करें जाप
यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष दोष है और इससे मुक्ति चाहते हैं तो इस दिन आप गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे आपके कष्ट कम होंगे और साथ ही साथ आपको झूठे आरोपों से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय के साथ-साथ राहु मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: और केतु के मंत्र ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: का जाप भी करें।
नाग देवता को दूध चढ़ाएं
नागपंचमी के दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता को दूध अर्पित करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इससे आपको सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
नागपंचमी में क्या हैं पूजाविधि ?
नागपंचमी के दिन सुबह स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। शिवलिंग पर जल अर्पित करें और शिवजी की आराधना करें। इसके बाद घर के एंट्रेस गेट, मंदिर और रसोई घर के बाहर के दरवाजे को खड़िया से पुताई करें। इस पर कोयले से नाग देवताओं का चिन्ह बनाएं या नागदेवता की प्रतिमा भी घर ला सकते हैं। इसके बाद पूजा आरंभ करें और नागदेवता फल, फूल, धूप-दीप, कच्चा दूध और नैवेद्य अर्पित करें।अंत में नागदेवता की आरती उतारें। आरती करने के बाद नाग पंचमी की कथा का पाठ कर सकते हैं। संभव हो, तो पूजा के बाद दूध का एक कटोरा खेत या ऐसे स्थान पर रख दें, जहां सांप के आने की संभावना हो।
नागपंचमी को लेकर क्या है मान्यता ?
भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व में दिए गए नागपंचमी की कथा के बारे में बताते हैं। इस पुराण के अनुसार सुमंतु मुनि ने शतानीक राजा को नागपंचमी की कथा के बारे में बताया है। सावन शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन नाग लोक में बहुत बड़ा उत्सव होता है। पंचमी तिथि को जो व्यक्ति नागों को गाय के दूध से स्नान कराता है उसके कुल को सभी नाग अभय दान देते हैं। उसके परिवार जनों को सर्प का भय नहीं रहता है। महाभारत में जन्मेजय के नाग यज्ञ की कहानी है। जिसके अनुसार जन्मेजय के नाग यज्ञ के दौरान बड़े-बड़े विकराल नाग अग्नि में आकर जलने लगे। उस समय आस्तिक नामक ब्राह्मण सर्प यज्ञ रोककर नागों की रक्षा की थी यह पंचमी की तिथि थी।
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