चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर गणेश पचौरी अपने माता-पिता और भाई के साथ फंदे से लटके मिले, पुलिस ने शुरू की जांच

पांढुर्णा की चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर गणेश पचौरी, उसके माता-पिता और भाई के शव नागपुर में फंदे से लटके मिले। गणेश पर 17 लाख के गबन का आरोप था और उसे हाल ही में जमानत मिली थी।

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Raj Singh
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महाराष्ट्र से बड़ी खबर आ रही है। राज्य के पांढुर्णा जिले में मातृ सेवा इंडिया नीति लिमिटेड एक चिटफंड कंपनी है। इसके डायरेक्टर गणेश पचौरी हैं। गणेश, उनके भाई और माता-पिता के शव नागपुर स्थित उनके घर में फंदे से लटका हुआ मिला है। जानकारी के मुताबिक, माता-पिता और भाई के हाथ बंधे हुए मिले, जबकि गणेश पचौरी के हाथ खुले थे। गणेश पर 17 लाख रुपए के गबन का आरोप है। वह इस मामले में जमानत पर बाहर थे।

इस मामले में पुलिस को गणेश पचौरी की जेब से एक सुसाइड नोट मिला है। इस पर परिवार के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। इस पत्र में लिखा है कि पांढुर्णा में दर्ज केस की वजह से वह तनाव में था। आज चारों के शवों का नागपुर मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम किया जाएगा।

पुलिस ने क्या बताया?

नागपुर ग्रामीण के एएसपी गणेश धूमल ने बताया कि महाराष्ट्र में नागपुर जिले के मोवाड गांव के वार्ड 5 में एक घर में गणेश पचौरी, पिता विजय पचौरी, मां माला पचौरी और छोटे भाई दीपक पचौरी के शव फंदे से लटके मिले। जब पुलिस यहां पहुंची तो गेट अंदर से बंद था। दीपक का शव हॉल में, पति-पत्नी बीच वाले कमरे में और गणेश का शव दूसरे कमरे में मिला। नागपुर की फोरेंसिक टीम ने यहां पहुंचकर सेंपल इकट्ठा किए हैं।

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गबन के केस में जेल में था गणेश

पांढुर्णा थाने में पदस्थ उप निरीक्षक लखन भीमते ने बताया कि पांढुर्णा पुलिस थाने के सामने शर्मा कॉम्प्लेक्स में मातृ सेवा इंडिया नीति लिमिटेड संस्था संचालित होती थी। इसे गणेश पचौरी 22 मार्च 2023 से चला रहा था। गबन उजागर होने के बाद संस्था पर ताला लग गया।

14 फरवरी 2024 को गणेश पचौरी सहित संस्था के तीन कर्मचारियों पर 17 लाख रुपए के गबन का मामला दर्ज किया गया। आरोपी गणेश को छिंदवाड़ा जेल भेज दिया गया था। कुछ दिन पहले ही वह जमानत पर बाहर आया था। तभी से वह अपने गांव महाराष्ट्र के मोवाड में रह रहा था।

फरवरी में हुए थे आरोपी गिरफ्तार

मातृ सेवा इंडिया निधि लिमिटेड चिटफंड कंपनी ने एफडी और आरडी के नाम पर कई लोगों से लाखों रुपए वसूले। कंपनी के कर्मचारी हर दिन घर-घर जाकर खाताधारकों से पैसे वसूलते थे। कंपनी ने करीब 17 लाख रुपए का गबन किया था। शिकायत के बाद फरवरी 2024 में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

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