आज नरसिंह जयंती है। भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं। अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंहअवतार लिया था। इनका प्राकट्य खम्बे से गोधूली वेला के समय हुआ था। भगवान नरसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं। ( Narsimha Jayanti 2024 )
नरसिंह जयंती शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि का आरंभ आज 21 मई को शाम 5 बजकर 40 मिनट से हो रही है और समापन 22 मई को 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। दोनों ही दिन सूर्यास्त काल में चतुर्दशी की व्याप्ति या अव्याप्ति की स्थिति में यह जयंती है।
कौन हैं भगवान नरसिंह ?
सृष्टि के पालनहार और सम्पूर्ण जगत के स्वामी भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को राक्षस हिरण्यकश्यपु से बचाने के लिए नरसिंह अवतार लिया था। नरसिंह अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से चौथा अवतार है। भगवान नरसिंह शक्ति और पराक्रम के देवता हैं, इन्हें शत्रुओं के नाशक के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यपु का वध किया था। इस विशेष तिथि पर भगवान नरसिंह जी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान नरसिंह की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।
नरसिंहपुर का नाम नरसिंहपुर क्यों पड़ा?
अठारहवीं शताब्दी में जाट सरदारों ने यहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और भगवान नरसिंह की मूर्ति प्रतिष्ठित करवाई। तब से यहां जिले का मुख्यालय बना और गड़रिया खेड़ा नाम का यह ग्राम नरसिंहपुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
नरसिंह जयंती: भगवान नृसिंह का अवतार और उत्सव का महत्व
नरसिंह जयंती भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की जयंती का उत्सव है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त की रक्षा की थी। इस दिन कृष्ण मंदिर में कान्हाजी को बांसुरी देनी चाहिए।
इस वर्ष 2024 में नरसिंह जयंती 21 मई को मनाई जा रही है।
नरसिंह अवतार की कथा
- हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था, जिसने अमरता प्राप्त कर ली थी। वह अत्यंत घमंडी और क्रूर था और अपने भक्तों को प्रताड़ित करता था।
- हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था।
- हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार विफल रहा।
- अंत में, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आग से अछूता बनाकर प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया।
- होलिका आग में जल गई, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु की रक्षा से सुरक्षित रहा।
- क्रोधित हिरण्यकश्यप को मारने के लिए, भगवान विष्णु ने नृसिंह नामक एक अर्ध-सिंह, अर्ध-मानव रूप धारण किया।
- नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को अपनी गोद पर रखकर अपने पंजे से उसका सीना चीर दिया।
नरसिंह जयंती का महत्व
- भक्तों की रक्षा: नरसिंह जयंती भगवान विष्णु द्वारा अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए किए गए बलिदान का प्रतीक है।
- अधर्म पर विजय: यह अधर्म पर धर्म की विजय का भी प्रतीक है।
- आध्यात्मिक जागरण: नरसिंह जयंती हमें आध्यात्मिक जागरण और ईश्वर के प्रति समर्पण का संदेश देती है।
नरसिंह जयंती का उत्सव
- नरसिंह जयंती के दिन, भक्त भगवान नृसिंह की पूजा करते हैं।
- मंदिरों में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है।
- भक्त उपवास रखते हैं और दान करते हैं।
- नृसिंह कथा का पाठ किया जाता है।
- कुछ स्थानों पर जुलूस भी निकाले जाते हैं।
-
thesootr links