National Space Day : एक साल पहले 23 अगस्त के दिन विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड किया गया था। यह भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि का प्रतीक है क्योंकि 23 अगस्त 2024 के दिन हमारा देश दुनिया का चौथा वहीं दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास लैंड कर चंद्रमा पर परचम फहराने वाला पहला देश बना था। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का सम्मान करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल 23 अगस्त को 'नेशनल स्पेस डे' मनाने की घोषणा की है। इस उत्सव की लाइव स्ट्रीमिंग और पहले स्पेस डे का उत्सव देखने के लिए यहां क्लिक करें।
National Space Day 2024 की थीम और समारोह
23 अगस्त 2024 में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की थीम होगी 'चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा'। इस समारोह का आयोजन 23 और 24 अगस्त को नई दिल्ली के भारत मंडपम में किया जाएगा। इस मुख्य कार्यक्रम का उद्धाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु करेंगी। इस कार्यक्रम में आकर्षक प्रदर्शनियां और भारत की अंतरिक्ष जगत की उपलब्धियों के बारे में महत्वपूर्ण घोषणाएं शामिल होंगी। बच्चों को अंतरिक्ष के बारे में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से देश के स्कूलों में शैक्षिक कार्यशालाएं और प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। नेशनल स्पेस डे भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव है। इसका उद्देश्य युवाओं को प्रेरित करना, अंतरिक्ष अनुसंधान के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसरो के योगदान का सम्मान करना है।
इसलिए मना रहे नेशनल स्पेड डे 2024
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अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए युवाओं को प्रेरित करना।
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अंतरिक्ष अनुसंधान के महत्व और प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
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संचार, मौसम का पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन पर प्रकाश डालना।
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इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की लगन और मेहनत के बारे में बताना।
नेशनल स्पेस डे को अलग-अलग प्लेटफॉर्मों पर लाइव दिखाया जाएगा। इसरो के यूट्यूब चैनल,डीडी न्यूज के साथ-साथ द सूत्र के यूट्यूब चैनल पर भी इस कार्यक्रम को देख सकते हैं। लाइव देखने के लिए यहां क्लिक करें।👇
चंद्रयान-3 के निष्कर्षों ने यह किया खुलासा
इसरो के चंद्रयान-3 के डेटा ने संकेत दिया कि चंद्रमा पर कभी 'मैग्मा महासागर' था। मैग्मा महासागर एक बड़ी परत के रूप में पिघला हुआ चट्टान होता है और यह ग्रहों के बनने के शुरुआती चरणों में पाया जाता है। यह विश्लेषण प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर 100 मीटर की दूरी पर इकट्ठा किए गए मिट्टी के डेटा से आया है। इसके अध्ययन ने सतह का अध्ययन करने के रास्ते खोले हैं, साथ ही सुरक्षित लैंडिंग करने वाली जगहों की पहचान करने की संभावना भी बढ़ाई है।
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