NEW DELHI. केवल उत्तरप्रदेश में ही 12वीं कक्षा के सिलेबस से मुगल इतिहास के चैप्टर्स को हटा दिया गया है। इसकी पुष्टि करते हुए एनसीईआरटी ने भी कहा कि इतिहास की किताब से मुगल दरबार और शासक चैप्टर को हटाया गया है। साथ ही मुगलों से जुड़े कुछ चैप्टर 11वीं कक्षा की किताब से भी हटाए गए हैं। इसको लेकर अब एनसीईआरटी चीफ दिनेश प्रसाद सोलंकी ने सफाई दी है और कहा कि बच्चों पर बोझ कम करना है, इसलिए दोहराव वाली चीजें हटा दी गई हैं। हालांकि, इस बदलाव को लेकर कुछ इतिहासकारों ने यहां तक कह दिया कि यदि पाठ्यक्रम से मुगलों का इतिहास निकाल देंगे तो फिर ताजमहल को भी हटाना होगा।
रिपिटेशन वाली चीजों को हटाया है- एनसीईआरटी
एनसीईआरटी चीफ दिनेश प्रसाद सोलंकी ने कहा कि सिलेबस से मुगलों का इतिहास हटाया नहीं गया है। कोविड के बाद सिलेबस कम करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, ताकि बच्चों का लोड कम हो सके। सिर्फ एक्सपर्ट्स ने सिलेबस कम किया और कुछ नहीं है। छठी कक्षा से 12वीं तक एक्सपर्ट्स ने देखा और गैरजरूरी लोड बस हटा दिया है। वहीं 12वीं कक्षा में मुगलों के चैप्टर हटाने पर दिनेश सोलंकी ने कहा कि 12वीं कक्षा में भी मुगलों की पढ़ाई अभी भी जारी रहेगी। बस थोड़ा वर्कलोड कम किया गया है। जिन चीजों का रिपिटेशन हो रहा था, उन्हें ही साइड किया गया है। महत्वपूर्ण चीजें जैसे जो मुगलों की पॉलिसी थी वो रखी गई हैं। इतिहास से कोई छेड़छाड़ नहीं किया जा रहा है। बस दो चैप्टर की जगह एक चैप्टर पढ़ा रहे हैं, लेकिन पढ़ा तो रहे हैं।
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इन किताबों से हटेंगे ये चैप्टर्स
यूपी में एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की किताब 'थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री 2' के चैप्टर 'किंग्स एंड क्रॉनिकल्स: द मुगल कोर्ट' को पाठ्यक्रम से हटाया जा रहा है। इसके साथ ही कक्षा 11वीं की किताब थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री से 'सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स', 'कंफ्रंटेशन ऑफ कल्चर्स', और 'द इस्लामिक रेवोल्यूशन' चैप्टर्स भी हटने जा रहे हैं।
सिलेबस बदलने पर क्या बोले इतिहासकार
प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने एनसीईआरटी किताबों से मुगलों के चैप्टर हटाए जाने पर कहा है कि ऐसा करने से 200 सालों के इतिहास की जानकारी शून्य हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर मुगलों का इतिहास नहीं होगा तो ताज महल भी नहीं होगा। इरफान हबीब ने कहा कि यूजीसी ने भी बीए पाठ्यक्रम का एक सिलेबस बनाया था। उसमें उन्होंने इतिहास से अकबर को निकाल दिया था। यह तो एक बात चल रही थी, अब अगर भारत के इतिहास में आप मुगलों का इतिहास निकाल दें तो 200 साल के बारे में तो हमें कुछ मालूम ही नहीं रहेगा। अगर मुगलों का इतिहास नहीं होगा तो फिर ताजमहल भी नहीं होगा। इतिहासकार रवि भट्ट के मुताबिक इतिहास में बदलाव जरूरी है, पर वह सत्यता के साथ होने चाहिए। पहले के लोग जब इतिहास लिखा करते थे तो अपने आकाओं को खुश करने के लिए लिखते थे जिसमें कई फैक्ट रह जाते थे। समय-समय पर अपग्रेडेशन की जरूरत है और जो सही तथ्य हैं किसी को खुश करने के लिए नहीं होने चाहिए। लखनऊ यूनिवर्सिटी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट इतिहास और राजनीति शास्त्र के प्रो. रवि कांत के मुताबिक, इतिहास बदला जाना ठीक नहीं है क्योंकि जो राजा थे उसमें राजाओं का कोई इतिहास नहीं था। मुगल इतिहास ने लोगों को बढ़ाया है। अगर वही हट जाएगा तो यह भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। इसके अलावा बच्चे उस बारे में जानने से वंचित रह जाएंगे।