लोकतंत्र में कोई किसी को नहीं दे सकता वॉर्निंग, जनता ही देश की असली मालिक, हमारी गाइड संविधान

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Rajeev Upadhyay
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लोकतंत्र में कोई किसी को नहीं दे सकता वॉर्निंग, जनता ही देश की असली मालिक, हमारी गाइड संविधान

Prayagraj. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को शीर्ष कोर्ट की चेतावनी को नकार दिया है। रिजिजू ने बोले कि मीडिया में लिखा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है। जबकि लोकतंत्र में कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। हम जनता के सेवक हैं, हम संविधान के हिसाब से ही चलते हैं। कानून मंत्री उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।



बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि हमें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर न करें, जिससे परेशानी हो। इस पर सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की नियुक्ति के लिए भेजी गई सिफारिश अगले 5 दिनों में मंजूर हो जाएगी। हालांकि केंद्र ने 24 घंटे में ही शनिवार को सभी पांचों सिफारिशों को मंजूरी दे दी।



यह कहा कानून मंत्री ने 




रिजिजू बोले ’मैंने देखा कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है। इस देश के मालिक यहां के लोग हैं, हम सिर्फ सेवक हैं। हमारी गाइड संविधान है। संविधान के अनुसार ही देश चलेगा। यहां कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। हम अपने आप को इस महान देश के सेवक के रूप में देखते हैं, वह अपने आप में बड़ी बात है। लोगों ने हमें मौका दिया है काम करने का। आप सब प्रिवेलेज लोग हैं, जज-वकील बने हैं, पढ़ लिखकर ही बने हैं। हम भाग्यशाली हैं कि देश के लिए काम करने के लिए जिम्मेदारी मिली है।’



कॉलेजियम ने की थी न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश 




सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को सरकार से 5 नामों की सिफारिश की थी। इनमें जस्टिस पंकज मिथल चीफ जस्टिस राजस्थान हाईकोर्ट,  जस्टिस संजय करोल चीफ जस्टिस पटना हाईकोर्ट, जस्टिस पी वी संजय कुमार चीफ जस्टिस मणिपुर हाईकोर्ट, पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस मनोज मिश्रा का नाम शामिल था।




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    सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जस्टिस एसके कौल और एएस ओका की बेंच को बताया था कि 5 जजों की नियुक्ति का वारंट जल्द ही जारी होगा। सुप्रीम कोर्ट में जजों की सैंक्शन स्ट्रेंथ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया समेत 34 है। पांच जजों की नियुक्ति को सरकार से मंजूरी मिलने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। पहले शीर्ष कोर्ट में 27 जजों के साथ काम हो रहा था।



    क्या है सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम ?




    जिस कॉलेजियम पर यह पूरा विवाद हो रहा है, वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर की प्रणाली है। कॉलेजियम के सदस्य जज ही होते हैं। वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को नए जजों की नियुक्ति के लिए नामों का सुझाव भेजते हैं। मंजूरी मिलने के बाद जजों को नियुक्त किया जाता है। देश में कॉलेजियम सिस्टम साल 1993 में लागू हुआ था। कॉलेजियम में 5 सदस्य होते हैं। सीजेआई इसमें प्रमुख होते हैं। इसके अलावा 4 मोस्ट सीनियर जज होते हैं। अभी इसमें 6 जज हैं।



    सरकार ने अपना प्रतिनिधि शामिल करने सीजेआई को लिखा था खत




    16 जनवरी को कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सीजेआई को खत लिखकर कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही थी। केंद्र के रुख का जवाब देने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुआई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले को सार्वजनिक किया जाए।


    बोले संविधान ही हमारी गाइड सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी को नकारा कानून मंत्री का बयान says Constitution is our guide rejecting Supreme Court's warning Law Minister's statement
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