नोबेल विजेता अमर्त्य सेन पर 13 डिसमिल जमीन पर अवैध कब्जे का लगा आरोप, विश्व भारती यूनिवर्सिटी ने भेजा नोटिस, 6 मई तक का दिया समय 

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The Sootr
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नोबेल विजेता अमर्त्य सेन पर 13 डिसमिल जमीन पर अवैध कब्जे का लगा आरोप, विश्व भारती यूनिवर्सिटी ने भेजा नोटिस, 6 मई तक का दिया समय 

KOLKATA. पश्चिम बंगाल की विश्व भारती यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को 15 दिनों के भीतर जमीन खाली करने का नोटिस दिया है। इसके मुताबिक, अमर्त्य सेन को छह मई तक यूनिवर्सिटी की जमीन को खाली करना होगा। नोटिस में कहा गया है कि इस अवधि के भीतर आदेश का पालन करने से इनकार करने या विफल होने की स्थिति में अमर्त्य सेन और सभी संबंधित व्यक्तियों को जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग के जरिए बेदखल किया जा सकता है।



13 डेसीमल जमीन पर किया कब्जा



नोटिस में बताया गया है कि अमर्त्य सेन ने करीब 13 डेसीमल जमीन पर कब्जा किया हुआ है, जो कि विश्व भारती के प्लाट नंबर 201 के  पास है। इसका कुल एरिया 1.38 एकड़ है। अमर्त्य सेन को ये नोटिस 19 अप्रैल को भेजा गया है। बता दें कि साल 1998 में अमर्त्य सेन को इकोनॉमिक्स के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 



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सेन ने आरोपों को किया खारिज



सेन ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि विश्व भारती ने 1.25 एकड़ जमीन उनके पिता आशुतोष सेन को एक निश्चित समय के लिए किराए पर दी थी। जबकि विवाद वाली 13 डिसमिल जमीन उनके पिता ने खरीद ली थी। उनके पास यह साबित करने के लिए सभी जरूरी डॉक्यूमेंट हैं।



विश्व भारती ने एक नोटिस करवाया था चस्पा



इससे पहले अमर्त्य सेन के शांतिनिकेतन वाले आवास के मेन गेट पर विश्व भारती ने एक नोटिस चिपकाया था। साथ ही सेन को ई-मेल से भी नोटिस भेजा था, जिसमें विश्व भारती ने कहा था कि अंतिम आदेश के जरिए 19 अप्रैल को मामले का निपटारा कर दिया जाएगा।



1943 में 99 साल के लिए किराये पर ली थी जमीन



जमीन विवाद मामले में विश्व भारती के प्रबंधन का कहना है कि अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन ने 1943 में 99 साल के लिए केवल 1.25 एकड़ जमीन किराए पर ली थी। इस तरह 13 डिसमिल जमीन वापस की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी महीने से मामले को लेकर सेन को तीन लेटर भेजे जा चुके हैं।



सेन ने 17 अप्रैल को भेजा था ई-मेल 



मामले को लेकर सेन ने बीती 17 अप्रैल को एक ई-मेल भेजा था। सेन ने लिखा था, किराए पर दी गई जमीन के हिस्से पर यूनिवर्सिटी के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने खुद को जमीन का मालिक बताते हुए कहा कि पिता आशुतोष सेन और माता अमिता सेन की मौत के बाद यह जमीन मुझे दी गई थी।


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