उत्तर कोरिया के किम जोंग उन की जाएगी गद्दी? तानाशाही के खिलाफ आए ये तीन देश

देश-दुनिया। पश्चिमी देशों ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया दुनिया का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड सेंटर चलाता है, इसे हैकर्स की एक भारी-भरकम टीम द्वारा अंजाम दिया जाता है। इस फ्रॉड से आए पैसों का उपयोग किम जोंग के परिवार पर किया जाता है...

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Jitendra Shrivastava
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NEW DELHI. अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के खिलाफ साइबर वार शुरू करने का फैसला कर लिया है। इसमें सनकी तानाशाह किम जोंग उन के खिलाफ उत्तर कोरियाई नागरिकों में विद्रोह की भावना उकसाने के लिए काम किया जाएगा। इसके अलावा उत्तर कोरिया के हैकर्स के खिलाफ भी मल्टीनेशनल साइबर एक्शन प्लान लागू होगा। 

उत्तर कोरिया दुनिया का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड सेंटर

पश्चिमी देशों ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया में दुनिया के बड़े-बड़े हैकर्स की भारी-भरकम टीम है जो साइबर फ्रॉड सेंटर चलाती है। इस फ्रॉड से आए पैसों का उपयोग किम जोंग करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य उत्तर कोरिया के साइबर फ्रॉड के जरिए कमाई करने के रास्ते को बंद करना है। पश्चिमी देशों का दावा है कि उत्तर कोरिया में दुनिया का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड सेंटर है। इसमें हैकर्स की टीमें पैसे चुराने के लिए मैलवेयर का इस्तेमाल करती है।  इन पैसों का उपयो किम जोंग उन और उनके परिवार पर किया जाता है।

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उत्तर कोरिया की क्षमता को रोकने पर बनी सहमति

अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने बयान में कहा कि तीनों देशों के राजनयिकों की बैठक हुई है। इस तीसरी बैठक में साइबर फ्रॉड के जरिए पैसे इकट्ठा करने और उसे सैन्य खर्च में इस्तेमाल करने की उत्तर कोरिया की क्षमता को रोकने पर सहमति बनी है। जब एफबीआई ने अमेरिकी प्रशासन को चेतावनी दी कि उत्तर कोरियाई हैकर्स की टीमें पैसे चुराने के लिए मैलवेयर का इस्तेमाल कर रही हैं तब इस बैठक हुई है। इसके लिए वे बैंकों, वित्तीय संस्थानों और कंपनियों को निशाना बना रही हैं। हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी व्यवसायों और प्लेटफार्मों में घुसपैठ करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।

बैठक में ये देश हुए शामिल

इस बैठक का नेतृत्व सियोल के विदेश मंत्रालय में कोरियाई प्रायद्वीप नीति के डायरेक्टर जनरल ली जुन-इल उत्तर कोरिया से अमेरिकी उप विशेष प्रतिनिधि सेठ बेली और साइबर नीति के प्रभारी जापानी राजदूत नाओकी कुमागाई ने किया। इस समूह में लगभग 20 अमेरिकी, दक्षिण कोरियाई और जापानी सरकार के विभागों, मंत्रालयों और एजेंसियों के एजेंट भी शामिल थे।

उत्तर कोरिया के आईटी नेटवर्क को करेंगे जाम

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि वर्किंग ग्रुप के माध्यम से अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान तीनों एक साथ मिलकर कार्रवाई पर काम करना जारी रखेंगे। जो कैंप डेविड शिखर सम्मेलन में स्थापित ऐतिहासिक सहयोग को रेखांकित करता है। इसमें उत्तर कोरिया द्वारा क्रिप्टोकरेंसी की चोरी रोकने, उनके इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी नेटवर्क को जाम करने, उत्तर कोरिया से पैदा होने वाले साइबर खतरे को खत्म करने की कार्रवाई को अंजाम देंगे। कार्रवाई को लेकर भागीदारों के साथ काम करने और क्षमता के विकास को बढ़ाने पर जोर दिया गया।

उत्तर कोरियाई नागरिकों को उकसाएंगे किम जोंग के खिलाफ 

अमेरिका, साउथ कोरिया और जापान, उत्तर कोरिया के लोगों के बीच इंफार्मेशन को सरलता से पहुंचाने, दुनिया में हो रही घटनाओं की जानकारी उन्हें देने का काम करेंगे। इसके साथ ही किम जोंग उन शासन के खिलाफ उकसाने का भी काम करेंगे। इसका उद्देश्य उत्तर कोरियाई नागरिकों को किम जोंग के तानाशाही शासन के खिलाफ उकसाना है, ताकि वह उसके खिलाफ आवाज उठा सकें। अभी सिर्फ एशिया में सिर्फ उत्तर कोरिया ही ऐसा देश है, जहां तानाशाही शासन है।

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