अब सभी दवा उत्पादक कंपनियों को लेना होगा गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस का सर्टिफिकेट, जानें सरकार ने क्यों की सख्ती

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Chandresh Sharma
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अब सभी दवा उत्पादक कंपनियों को लेना होगा गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस का सर्टिफिकेट, जानें सरकार ने क्यों की सख्ती

New Delhi. देश की सभी दवा कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के कड़े गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा। नए गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों को छह से 12 महीने तक समय दिया है। देश में कुल 10,500 दवा कंपनियां हैं। इनमें से करीब 2000 कंपनियों ने ही गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) का सर्टिफिकेट लिया है। अब सभी के लिए इसे लेना अनिवार्य किया है। इसका पालन नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ जुर्माना लगाने या लाइसेंस रद्द करने जैसी कार्रवाई भी हो सकती है।



दुनिया के 'फार्मेसी कैपिटल' के रूप में जाना जाता है भारत 




स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आज भारत दुनिया के 'फार्मेसी कैपिटल' के रूप में जाना जाता है। इस साख को बरकरार रखने के लिए उच्च गुणवत्ता को सुनिश्चित करना जरूरी है। इसके लिए गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस के नियम शेड्यूल एम में दिए गए हैं। 2018 में शेड्यूल एम का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया था, लेकिन इसे फाइनल नहीं किया जा सका था। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन के जीएमपी के अनुरूप बनाते हुए इसे सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया।




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  • 12 महीने में सर्टिफिकेट ले सकेंगी छोटी कंपनियां  




    वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 250 करोड़ रुपये से अधिक सालाना टर्न ओवर वाली बड़ी कंपनियों को छह महीने के भीतर जीएमपी के लिए आवेदन करने और सर्टिफिकेट लेने का समय दिया गया है, वहीं 250 करोड़ रुपये से कम की टर्न ओवर वाली कंपनियों को इसके लिए 12 महीने का समय दिया गया है। 



    फैक्ट्री का फिजिकल वेरीफिकेशन होगा 




    सर्टिफिकेट देने के पहले कंपनी के फैक्ट्री का फिजिकल वेरीफिकेशन भी किया जाता है। देश में लगभग 8500 एमएसएमई दवा उत्पादन कंपनियां हैं, जिनका टर्न ओवर 250 करोड़ रुपये से कम है। इन कंपनियों को 12 महीने का समय मिल जाएगा। उन्होंने इसे देश में आम जनता को गुणवत्तापूर्ण दवा उपलब्ध कराने की दिशा में अहम कदम बताया। 



    नकली दवा बनाने वाली 18 कंपनियों के लाइसेंस किए थे कैंसल




    हाल में भारतीय कंपनियों की दवाओं की क्वालिटी पर लेकर सवाल उठे हैं। अफ्रीकी देश गाम्बिया और मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान में कफ सिरप से बच्चों की मौत हो गई थी। इसके लिए भारत में बनी दवाई को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके घटिया क्वालिटी वाली दवाओं के उत्पादन के खिलाफ कार्रवाई के तहत ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) और स्टेट रेगुलेटर्स ने देशभर में 76 फार्मा कंपनियों का निरीक्षण किया। इनमें से नकली तथा मिलावटी दवा बनाने को लेकर 18 कंपनियों के लाइसेंस कैंसल किए गए, वहीं 26 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। 



    कुल 76 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की




    ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 20 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में दवा कंपनियों का निरीक्षण किया था। घटिया दवाओं के निर्माण के खिलाफ विशेष अभियान के पहले चरण के तहत 76 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।



    मध्य प्रदेश की 23 कंपनियां घेरे में 




    विशेष अभियान के तहत रेगुलेटर्स ने 203 कंपनियों की पहचान की है तथा ज्यादातर कंपनियां हिमाचल प्रदेश (70), उत्तराखंड (45) और मध्य प्रदेश (23) में हैं। इनमें मानक के अनुरूप दवा सही नहीं पाई गई है। इनकी जांच चल रही है।


    Good Manufacturing Practice Certificate rein on fake medicine makers more than 8000 companies do not have GMP certificate गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस सर्टिफिकेट नकली दवाई बनाने वालों पर लगाम 8000 से ज्यादा कंपनियों के पास नहीं GMP सर्टिफिकेट