New Delhi. 2024 एशिया-प्रशांत मानव विकास ने एक रिपोर्ट में गरीबों की माली हालत को लेकर बड़ी जानकारी दी है। यह रिपोर्ट केवल दीर्घकालिक प्रगति के साथ असमानता की तस्वीर भी बता रही है। भारत में 2000 से 2022 के बीच प्रति व्यक्ति आय 442 डॉलर से बढ़कर 2,389 डॉलर (1 लाख 98 हजार 857 रुपए 13 पैसे रुपए सालाना) हो गई, जबकि 2004 से 2019 के बीच गरीबी दर (प्रतिदिन 2.15 डॉलर के अंतरराष्ट्रीय गरीबी माप के आधार पर) 40 से गिरकर 10 प्रतिशत हो गई। 2016 से 2023 के बीच गरीब सबसे ज्यादा कम हुए हैं।
देश की 45% आबादी वाले राज्यो में रहते हैं 62% गरीब
डायरेक्शन फार ह्यूमन डेवलपमेंट इन एशिया एंड पैसिफिक के शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा, गरीबी को कम करने में सफलता जरूर मिली है, लेकिन यह उन राज्यों में ज्यादा है, जहां देश की 45 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां पर देश के 62 प्रतिशत गरीब रहते हैं। रिपोर्ट में बताया है कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो गरीबी रेखा से ठीक ऊपर हैं। जिन समूहों के दोबारा गरीबी में जाने का खतरा है, उनमें महिलाएं, अनौपचारिक श्रमिक और अंतर-राज्य प्रवासी शामिल हैं।
आय वितरण में असमानता : महिलाओं को लेकर जताई चिंता
महिलाएं श्रम शक्ति का केवल 23 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट में कहा है कि तेजी से विकास के बीच आय वितरण में असमानता बढ़ी है। मुख्य रूप से वर्ष 2000 के बाद की अवधि में संपत्ति में असमानता में बढ़ोतरी ज्यादा हुई है। भारत वैश्विक मध्यम वर्ग (12 डालर से 120 डालर के बीच जीवनयापन करने वाले लोग) की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र इस साल वैश्विक आर्थिक विकास में दो-तिहाई का योगदान देगा।
भारत में 15 वर्षों के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले
मालूम हो, संयुक्त राष्ट्र ने 11 जुलाई 2023 बताया था कि भारत में 2005-2006 से 2019-2021 के दौरान महज 15 साल के भीतर कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। यह बात वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के नवीनतम अपडेट में कही गई है। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) की ओर से जारी किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार भारत सहित 25 देशों ने 15 वर्षों में अपने वैश्विक एमपीआई मूल्यों (गरीबी) को सफलतापूर्वक आधा कर दिया, यह आंकड़ा इन देशों में तेजी से प्रगति को दर्शाता है। इन देशों में कंबोडिया, चीन, कांगो, होंडुरास, भारत, इंडोनेशिया, मोरक्को, सर्बिया और वियतनाम शामिल हैं।
पाकिस्तान की सबसे बुरी हालत
पाकिस्तान की सबसे ज्यादा आबादी गरीब है। पाकिस्तान के आर्थिक संकट की वजह से वहां की आबादी गरीब होती जा रही है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल में 1.25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं। पिछले साल पाकिस्तान की 34.2% आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी, जो अब बढ़कर 39.4% हो गई है। इसके बाद पाकिस्तान में गरीबी रेखा से नीचे कुल आबादी 9.5 करोड़ हो गई है। पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश है, जहां की करीब 10 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे आती है। चीन की महज 0.11 फीसदी आबादी ही गरीबी रेखा से नीचे आती है। ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय गरीबी रेखा के हिसाब से हैं।