ओबीसी को 27% आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, आ सकता है बड़ा फैसला

मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। इसमें पीएससी के 13 प्रतिशत होल्ड पदों पर भी निर्णय आने की संभावना है।

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Amresh Kushwaha
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मध्यप्रदेश में ओबीसी (Other Backward Classes) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज (12 अगस्त) अहम सुनवाई होनी है। इस मामले में मुख्य मुद्दा यह है कि क्या ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं।

इस मामले में एक और पहलू यह है कि पीएससी (Public Service Commission) के 13 प्रतिशत पदों पर लागू होल्ड को अनहोल्ड करने पर भी अदालत का निर्णय आ सकता है। यह सुनवाई मध्यप्रदेश राज्य के ओबीसी वर्ग के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि सीएम मोहन यादव ने हाल ही में इस विषय पर अपने बयान में कहा था कि राज्य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।

5 अगस्त को हुई थी पिछली सुनवाई

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मामला एक लंबी कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा रहा है। 2022 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश दिया था, जिसके तहत ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई थी। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां कोर्ट ने 5 अगस्त को सुनवाई की गई।

इसके बाद इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त (आज) तय की थी।। इस बीच, ओबीसी महासभा के प्रतिनिधियों ने अदालत में यह पक्ष रखा कि परीक्षा हो चुकी है और भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन नियुक्तियां अभी तक नहीं दी गई हैं। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ में ओबीसी के लिए लागू राहतों को मध्यप्रदेश में भी लागू करने का अनुरोध किया गया था।

छत्तीसगढ़ के फार्मूले को MP में लागू करने की मांग

ओबीसी महासभा के वकील ने यह भी सुझाव दिया कि छत्तीसगढ़ में जो फार्मूला लागू किया गया है, उसे मध्यप्रदेश में भी लागू किया जाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने राज्य में ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत तक बढ़ाया था, जिससे ओबीसी समुदाय को एक बड़ी राहत मिली थी। इस फार्मूले को मध्यप्रदेश में भी लागू करने का समर्थन किया गया है, ताकि ओबीसी समुदाय के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।

ये हैं ओबीसी आरक्षण मामले में याचिकाकर्ता और प्रतिवादी

याचिकाकर्ता (Petitioners)

  1. निश्चै सोनबर्से

  2. सुनीत यादव

  3. सत्यम बिसेन

  4. विरेंद्र सिंह

  5. अंकित बिसेन

  6. धीरज परमार

  7. सोमवती पटेल

  8. प्रवेश गजबे

  9. नीलेश कुमार गरसिया

  10. अजय कुमार महोर

  11. शक्ति राय

  12. लोल एंड्रा धाकड़

  13. प्रज्वल रहांगदाले

  14. सर्वेश पटेल

  15. कीर्ति चौकसी

  16. आयुषी राठौर

  17. अभिषेक साहू

  18. विकास यादव

प्रतिवादी (Respondents)

  1. मध्य प्रदेश का राज्य (Government of Madhya Pradesh)

  2. अतिरिक्त मुख्य सचिव (Additional Chief Secretary)

  3. प्रमुख सचिव (Principal Secretary)

  4. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (Madhya Pradesh Public Service Commission)

अभ्यर्थियों को जल्द उनका हक मिले- सीएम यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार (29 जुलाई) को विधानसभा में घोषणा की कि ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण डंके की चोट पर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि 13 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को उनका हक मिले और उनकी नौकरी योग्यता के आधार पर तय हो। 

ओबीसी आरक्षण मामले की टाइमलाइन

मार्च 2019:

  • कमलनाथ सरकार का फैसला
  • ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% किया गया

मार्च 2019:

  • हाईकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई
  • कहा कि ओबीसी आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता

दिसंबर 2021:

  • सरकार की नई गाइडलाइंस
  • तकलीफदेह महत्त्व को देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने ओबीसी को 27% आरक्षण देने की अनुमति दी

अगस्त 2023:

  • हाईकोर्ट ने 87:13 फार्मूला लागू किया
  • 87% पदों पर भर्ती के साथ 13% पदों को होल्ड रखा गया

28 जनवरी 2025:

  • हाईकोर्ट का फैसला
  • 87:13 फार्मूले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की गई
  • 27% ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हुआ

13 फरवरी 2025:

  • एमपी सरकार ने 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया
  • मुख्यमंत्री ने एडवोकेट जनरल को जल्द सुनवाई के लिए आवेदन लगाने को कहा

22 मार्च 2025:

  • मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को निर्देश दिया

  • ओबीसी 27 प्रतिशत आरक्षण से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई न करे

7 अप्रैल 2025:

  • सुप्रीम कोर्ट ने 'यूथ फॉर इक्वालिटी' की याचिका पर कहा

  • इस कानून पर कोई अड़चन नहीं है

22 अप्रैल 2025:

  • 52 पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की गईं।

  • सुप्रीम कोर्ट ने सभी स्वीकार कर लीं।

25 जुलाई 2025:

  • सुप्रीम कोर्ट ने विशेष सुनवाई की।

जानें क्या है छत्तीसगढ़ का फार्मूला

एक मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के जरिए आरक्षण को 58 फीसदी के तहत भर्ती करने पर अंतरिम राहत दी थी। छत्तीसगढ़ सरकार का पक्ष था कि भर्ती और पदोन्नति दोनों रुकी हैं। इसके चलते मैनपावर की कमी से सरकार जूझ रही है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह राहत दी थी कि जो प्रक्रिया चल रही है वह इसी 58 फीसदी पर चल सकती है लेकिन यह सभी अंतिम आदेश के अधीन होंगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2012 में 58 फीसदी आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

हाई कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण को 50 से बढ़ाकर 58 फीसदी करना असंवैधानिक है। छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए 18 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत लोकसेवा (अजा, अजजा एवं पिछड़ा वर्ग का आरक्षण) अधिनियम 1994 की धारा-4 में संशोधन किया गया था।

इसके अनुसार अजजा वर्ग को 32 फीसदी, अजा वर्ग को 12 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था। इससे कुल आरक्षण 58 फीसदी हो गया था।

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