Puri Jagannath temple
ओडिशा के पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार (कोषागार) खोल दिया गया है। गुरुवार को तहखाना खोलने की प्रक्रिया से पहले किसी भी श्रद्धालु को मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जानें दिया गया। यह फैसला रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष से कीमती सामान को अस्थायी 'स्ट्रांग रूम' में स्थानांतरित किए जाने के चलते लिया गया। मंदिर के तहखाने में स्थित रत्न भंडार में एक बाहरी और एक आंतरिक कक्ष है। जिनमें रत्न रखे गए हैं. इन्ही में से आंतरिक कक्ष गुरुवार को खोला गया है। आंतरिक कक्ष को शुभ मुहूर्त यानी सुबह 9.51 बजे ही खोला गया।
मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रमुख अरबिंद पाधी ने कहा कि रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को फिर से खोलने की व्यवस्था की जा रही है, इसलिए मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। सुबह 8 बजे के बाद किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। प्रमुख ने आगे कहा कि केवल अधिकृत व्यक्तियों और सेवकों को ही सुबह आठ बजे के बाद मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई। गुरुवार को मंदिर का केवल सिंह द्वार ही खुला गया, बाकि सारे दरवाजे बंद रहे।
ASI के पास आंतरिक कक्ष में संरक्षण की जिम्मेदारी
बता दें कि मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पास है। एएसआई को मंदिर के आंतरिक कक्ष के अंदर संरक्षण का काम करना है, जिसके लिए कीमती सामानों को स्थानांतरित करना जरूरी है, इस तहखाने को 46 साल बाद मरम्मत के लिए खोला गया है।
12 बक्सों को निकाला जाएगा बाहर
जानकारी के अनुसार मंदिर प्रांगण में बने आंतरिक कक्षों में रखे गए 12 बक्सों को बाहर निकालकर स्ट्रांग रूम में शिफ्ट किया जाएगा, इसके बाद ASI की टीम उन आंतरिक कक्षों के अंदर जाएंगे। कक्ष के अंदर जाने के बाद बाद वह इन कक्षों की जांच करें। ASI की 11 सदस्यी टीम को इस रत्न भंडार के चेंबर यानी आंतरिक कक्ष में जाने की अनुमति है। ASI की टीम जैसे ही इन कक्षाओं की जांच करके बाहर आएगी, उसके बाद स्ट्रांग में रखे गए इन बक्सों को फिर से आंतरिक कक्षों में शिफ्ट किया जाएगा।
12वीं शताब्दी के हैं कई रत्न
जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक कक्षों में जिन बक्सों के रखे होने की बात कही जा रही है, उनमे 12वीं शताब्दी से भी पुराने रत्न होने का दावा किया गया है। इन बक्सों में ऐसे कई रत्न ऐसे भी हैं जो 12वीं शताब्दी के हैं। अब ऐसे में जब इन बक्सों को खोला जाएगा और अंदर रखे रत्नों की जांच की जाएगी तो पता चलेगा कि आखिर इन बक्सों में किस काल या किस राजा के द्वारा कौन सा रत्न है।
एसओपी का पालन
तहखाने का ताला खोलने की पूरी प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा तय मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत की गई। पर्यवेक्षी समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बिस्वनाथ रथ के मुताबिक विशेष समिति के सदस्य रत्न भंडार के अंदर दाखिल हो चुके हैं।
पुरी जगन्नाथ मंदिर का प्रशासन ओडिशा सरकार के विधि विभाग के अधीन है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक भगवान को सालों से भक्त कीमती वस्तु दान करते आ रहे हैं। इन्हें रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष में संग्रहित किया जाता है। बाद में इन्हें मंदिर परिसर के अंदर अस्थायी स्ट्रांग रूम में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
मंदिर प्रशासन का कहना है कि एएसआई को खजाने के भीतरी कक्ष से सभी वस्तुओं को हटाने के बाद ही संरक्षण कार्य करने की अनुमति है। रत्न भंडार की मरम्मत और जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद ही सूची बनाना शुरू किया जाएगा।
सीसीटीवी की निगरानी में पूरी प्रक्रिया
बताया जा रहा है कि रत्न भंडार को खोलने की पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी की निगरानी में होगी। इसके लिए स्ट्रांग रूम और आंतरिक्ष कक्ष के आसपास खास तौर पर सीसीटीवी कैमरों को इंस्टाल किया गया है।
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें