One Nation One Election : क्या है एक देश एक इलेक्शन, कैसे मिली मंजूरी, जानें कैसे करेगा ये काम

केंद्र की मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।। इससे अब चुनावी खर्च कम होगा और विकास कार्य सुचारू होंगे। आइए जानते हैं कैसे काम करेगा 'वन नेशन-वन इलेक्शन'...

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Sandeep Kumar
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भारत में चुनावी प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में मोदी कैबिनेट ( modi cabinet ) ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' ( One Nation One Election ) यानी एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब बिल लोकसभा के शीतकालीन सत्र में पटल पर रखे जाने की तैयारी है। इससे पहले भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( Ramnath Kovind ) के नेतृत्ववाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने सरकार के 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ( President Draupadi Murmu ) को सौंप दी है।  जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव ( Lok Sabha and Assembly elections ) एक साथ कराने का प्रस्ताव है। 

क्या है कोविंद समिति की सिफारिशें

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( Ramnath Kovind )  की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने पहले कदम के तहत लोकसभा ( Lok Sabha ) और राज्य विधानसभाओं ( state Assemblies ) के लिए एक साथ चुनाव कराने की तथा इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की है।  इस समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नई लोकसभा ( new lok sabha ) के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। 

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क्या है एक देश-एक चुनाव

एक देश-एक चुनाव को लेकर सीधे शब्दों में कहें तो इसका मतलब ये है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भारतीयों को उसी समय या फिर उसी साल वोट करना होगा। वर्तमान में भी कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जो उसी समय नई राज्य सरकार के लिए मतदान करने वाले हैं। जब देश नई केंद्र सरकार (new central government )  का चयन कर रहा होता है। दरअसल, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा में अप्रैल/मई में लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha elections ) के साथ ही मतदान होना है। बता दें कि महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में इस साल के अंत में चुनाव होगा। वहीं केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ( Union Territory Jammu and Kashmir ) में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधानसभा चुनाव ( assembly elections ) जारी है।  

लागू करने से पहले हो सकती है ये चुनौती

'वन नेशन-वन इलेक्शन' को लागू करने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।  सबसे पहले इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन (amendment constitution ) करना होगा। लोकसभा का कार्यकाल या तो बढ़ाना होगा या फिर तय समय से पहले इसे खत्म करना होगा।  इसे लागू करने से पहले सभी दलों में आम राय बनाना जरूरी है। हालांकि चुनाव आयोग एक देश एक चुनाव को लेकर पहले ही कह चुका है कि वह इसके लिए तैयार है।

इसलिए सरकार दे रही 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर जोर 

पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( Ramnath Kovind )  के नेतृत्व वाले पैनल की घोषणा से पहले तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ( Arjun Ram Meghwal ) ने संसद को बताया था कि एक साथ चुनाव होने से पैसे और समय की बचत होगी। इसके साथ ही हर साल कई बार चुनाव अधिकारियों और सुरक्षा बलों ( Election officials security forces ) की तैनाती में कटौती होगी। इससे सरकारी खजाने पर बोझ कम पड़ेगा। सरकार को उम्मीद है कि एक बार चुनाव से मतदान प्रतिशत में भी सुधार होगा।

अब तक देश में कब-कब हुए 'वन नेशन वन इलेक्शन'

अगर केंद्र की मोदी सरकार देश में 'एक देश एक चुनाव' को लागू करती है तो ये कोई पहली बार नहीं होगा। जब इस तरह से देश में चुनाव कराए जाएंगे। इससे पहले साल 1952, 1957, 1962, 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव ( Lok Sabha Assembly elections ) एक साथ कराए गए थे। 1968 और 1969 में कई विधानसभा समय से पहले भंग भी किए गए। साल 1970 के बाद ही 'एक देश, एक चुनाव' की परंपरा खत्म हो गई थी। 

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