पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत भारतीय वायुसेना के जवाबी हमले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि भारतीय बैलेस्टिक मिसाइलों ने 9-10 मई की मध्यरात्रि में पाकिस्तान के कई एयरबेस, खासकर नूरखान एयरबेस को निशाना बनाया।
यह एयरबेस पाकिस्तान के सबसे संवेदनशील और उच्च स्तरीय सैन्य हवाई ठिकानों में से एक है।
शहबाज शरीफ के अनुसार, वजीर-ए-आजम को यह सूचित किया गया कि नूरखान एयरबेस पर मिसाइलें गिरी हैं, जिसके बाद पाकिस्तान की वायुसेना ने स्वदेशी तकनीक और आधुनिक चीनी लड़ाकू विमानों पर अत्याधुनिक गैजेट का उपयोग कर बचाव किया।
नूरखान एयरबेस की अहमियत और हमले की सटीकता
नूरखान एयरबेस, इस्लामाबाद के निकट होने के कारण पाकिस्तान की सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एयरबेस VVIP और उच्चस्तरीय सैन्य विमानन का केंद्र है, जहां से पाकिस्तान के टॉप अधिकारी और वायुसेना के ऑपरेशंस संचालित होते हैं।
स्पेस इंटेलिजेंस कंपनी सैटलॉजिक (Satellogic) की सैटेलाइट तस्वीरें इस बात की पुष्टि करती हैं कि भारतीय वायुसेना ने रावलपिंडी के नूरखान एयरबेस पर सटीक हमला किया, जिससे कमांड और कंट्रोल यूनिट को भारी क्षति पहुंची।इन तस्वीरों में 10 मई को एयरबेस के पास एक सफेद गल्फस्ट्रीम G450 विमान भी दिखा, जो आमतौर पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और विदेश मंत्रियों के लिए उपयोग होता है।
इस हमले ने पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली को गंभीर झटका दिया है और यह साबित करता है कि भारतीय वायुसेना ने बेहद कुशलता से ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।
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ऑपरेशन सिंदूर की वैश्विक प्रतिक्रिया और रणनीतिक महत्व
यह पहली बार है जब पाकिस्तान ने खुलकर स्वीकार किया है कि भारतीय एयरस्ट्राइक से उन्हें नुकसान हुआ है। इससे पहले पाकिस्तान लगातार ऐसे हमलों को नकारता आया था, पर अब शहबाज शरीफ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से हमले की बात स्वीकार की है।
यह ऑपरेशन न केवल भारत की सैन्य ताकत और सटीकता को दर्शाता है, बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन में भी बदलाव का संकेत है। भारत ने आधुनिक तकनीक और रणनीतिक हमलों से पाकिस्तान की महत्वपूर्ण सैन्य संपत्तियों को निशाना बनाकर उसकी युद्ध क्षमता को कम करने की कोशिश की है।