New Delhi. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत से कांग्रेस उत्साह से लबरेज है, कांग्रेस की इस सफलता पर विपक्षी दल भी कांग्रेस के प्रति दिलदार होते दिखाई दे रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी हों, अखिलेश यादव या फिर केसीआर, हर कोई कांग्रेस से यही उम्मीद लगाए है कि कांग्रेस को विपक्षी एकता की खातिर केवल उन्हीं सीटों पर फोकस करना चाहिए, जहां उसकी बीजेपी से सीधी टक्कर है। ममता बनर्जी और अखिलेश तो ऐसी करीब-करीब 200 सीटें होने की बात भी कह चुके हैं। यानि की कांग्रेस यह चाहती है कि 2024 के आम चुनाव सभी विपक्षी दल एकजुटता के साथ लड़ें तो उसे करीब 345 लोकसभा सीटों को तिलांजलि देनी होगी और महज 200 सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। हालांकि यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस से ज्यादा क्षेत्रीय दल अधिक फायदे में रहेंगे ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है।
आखिर वो 200 सीटें हैं कौन सी
कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला उत्तर भारत के राज्यों में ही है। मध्यप्रदेश की 29, छत्तीसगढ़ की 11, कर्नाटक की 28, हरियाणा की 11, राजस्थान की 25, उत्तराखंड और हिमाचल की 9 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी में सीधी टक्कर है। इसके अलावा पूर्वोत्तर, लद्दाख, अंडमान और चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में भी सीधा मुकाबला रहेगा। इसके अलावा विपक्षी दल, कांग्रेस को यूपी में 5, महाराष्ट्र में 14, बिहार में 4, तेलंगाना में 6, आंध्रप्रदेश में 5 सीटें छोड़ने राजी बताए जा रहे हैं। इस तरह कांग्रेस के लिए 200 सीटों का मैदान बाकी के विपक्षी दल छोड़ने सहमत हैं, लेकिन इसके बदले वे अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस का ज्यादा दखल नहीं चाहते।
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अगुवा बनने देनी होगी कुर्बानी
राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं कि यदि कांग्रेस चाहती है कि बीजेपी और मोदी के रथ को रोका जाए तो उसे बाकी के विपक्षी दलों का यह प्रस्ताव मान लेना चाहिए। कांग्रेस के अंदरखाने में चर्चा यही है कि 2019 का चुनाव कांग्रेस ने महज 200 सीटों में ही अच्छी तरह से लड़ा था, बाकी की सीटों में तो केवल औपचारिकता के लिए उम्मीदवार उतार दिए गए थे।
यह बोलीं- ममता बनर्जी
दरअसल ममता बनर्जी ने कहा है कि हमने अनुमान लगाया है कि कांग्रेस 200 सीटों पर मजबूत है, अगर आप कुछ अच्छा चाहते हैं तो कुछ जगहों पर त्याग भी करना पड़ता है। यूपी को ही मान लीजिए, वहां हमें अखिलेश को प्राथमिकता देनी होगी। ममता बोलीं कि मैं यह नहीं कह रही हूं कि कांग्रेस को वहां नहीं लड़ना चाहिए, हम मिलकर फैसला करेंगे।
कांग्रेस को पसंद नहीं यह प्रस्ताव
उधर कांग्रेस के सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस को ममता का यह प्रस्ताव पसंद नहीं आया है। क्योंकि कांग्रेस उन 200 सीटों के अलावा उन राज्यों पर भी नजर गड़ाए है जहां बीजेपी की हालत कमजोर है। कांग्रेस क्षेत्रीय दलों द्वारा उसके नेतृत्व में चुनाव लड़ने में अनमनाने से भी असंतुष्ट है। ऐसे में देखना यह होगा कि विपक्षी दलों इस सुझाव पर कांग्रेसी खेमा रजामंद होता है या नहीं, या देर सवेर सभी विपक्षी दल अपनी ढपली-अपना राग लेकर ही चुनाव मैदान में उतरते हैं।