NEW DELHI. रिमोट वोटिंग मशीन पर विपक्ष की 14 जनवरी को बैठक हुई। बैठक के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति ने इस रिमोट वोटिंग मशीन पर चुनाव आयोग के द्वारा पारित प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला लिया है। आरवीएम (RVM) के प्रस्ताव में भारी राजनीतिक विसंगतियां और इसमें प्रवासी मजदूरों की परिभाषा जैसी चीजें भी स्पष्ट नहीं हैं। बैठक में शामिल राजद नेता मनोज झा ने आश्चर्य जताया कि सरकार देश में 30 करोड़ प्रवासी कामगारों के आंकड़े तक कैसे पहुंची, जबकि इससे पहले कोविड के दौरान कहा था कि उसके पास प्रवासी मजदूरों का सटीक आंकड़ा नहीं है।
क्या है रिमोट वोटिंग मशीन
रिमोट वोटिंग मशीन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का आधुनिक और मोडिफाइड वर्जन है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से भारत से बाहर रहने वाले लोगों को भी वोट करने में काफी सुविधा होगी। देश के बाहर या फिर देश के किसी भी कोने में रहने वाले हर मतदाता को मताधिकार मिल सके। इसके लिए चुनाव आयोग ने इस रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से वोटिंग कराने का फैसला लिया है।
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रिमोट वोटिंग मशीन की विश्वसनीयता पर उठ रहा सवाल
बता दें कांग्रेस इस समय इसके विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है। ये कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी पार्टियां आए दिन ईवीएम को लेकर भी सवाल उठती रही है। बता दें बसपा की प्रमुख मायावती ने EVM को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं, उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में सभी चुनाव बैलट पेपर से कराए जाएं।
चुनाव आयोग ने कहा मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में मददगार
चुनाव आयोग ने दिसंबर महीने के अंत में रिमोट वोटिंग मशीन के बारे में बताते हुए कहा था कि- चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए घरेलू प्रवासी वोटरों के लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का एक शुरुआती मॉडल तैयार किया गया है। बता दें चुनाव आयोग ने 16 जनवरी को भी रिमोट वोटिंग मशीन पर विचार और चर्चा करने के लिए एक बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में सभी दलों के अध्यक्षों और महासचिवों को भी बुलाया गया है। इस बैठक के दौरान सभी पोलिटिकल पार्टीज के सामने इस मशीन को इस्तेमाल करके दिखाया जाएगा।