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शिमला समझौते के प्रतीक के रूप में हिमाचल प्रदेश के राजभवन में टेबल पर रखा गया पाकिस्तान का स्मृति झंडा (टेबल फ्लैग) अब हटा दिया गया है। यह झंडा 1972 में हुए शिमला समझौते के बाद से वहां मौजूद था। यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है। हमले के बाद इस टेबल की तस्वीरें सामने आईं, जिससे यह मुद्दा फिर चर्चा में आया।
राजभवन के सचिव सीपी वर्मा का कहना है, "झंडा हटाने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है।"वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने भी हमले के बाद शिमला समझौते को रद्द करने की घोषणा कर दी है।
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ऐतिहासिक शिमला समझौते की तस्वीर
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यह तस्वीर उस दौर की है जब वर्तमान हिमाचल प्रदेश राजभवन, जो पहले बार्नेस कोर्ट के नाम से जाना जाता था, में शिमला समझौते के तहत एक ऐतिहासिक बैठक हुई थी। उस वक्त बैठक की टेबल पर भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के झंडे रखे गए थे।
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2 जुलाई 1972 को हुआ था शिमला समझौता
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भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने 2 जुलाई 1972 को शिमला में इस महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते का उद्देश्य भारत-पाकिस्तान के बीच शांति और सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना था।
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स्मृति स्वरूप लगाया था झंडा
समझौते के बाद, उस ऐतिहासिक क्षण की स्मृति स्वरूप उस टेबल पर पाकिस्तान का झंडा लगाया गया था। यह प्रतीकात्मक झंडा आज भी राजभवन में मौजूद है, ताकि यहां आने वाले दर्शकों को इस ऐतिहासिक घटना की जानकारी मिल सके और वे भारत-पाकिस्तान संबंधों के उस महत्वपूर्ण मोड़ को महसूस कर सकें।
शिमला समझौता क्या है? जानिए विस्तार से...
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1971 की भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 90,000 से अधिक सैनिकों को बंदी बना लिया था। इस युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य करने और युद्धबंदियों की रिहाई के उद्देश्य से 2 जुलाई 1972 की रात करीब 3 बजे शिमला में एक ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है।
इस समझौते के तहत यह तय हुआ कि 20 दिनों के भीतर दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी सीमाओं पर लौट जाएंगी। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच तनाव कम कर रिश्तों को बेहतर बनाना था।