अधिकारियों के बच्चों को रिजर्वेशन क्यों?, सुप्रीम कोर्ट ने की निंदा, सुनाया बड़ा फैसला

प्रशासनिक अफसरों के बच्चों को आरक्षण मिलने के मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही नियुक्ति अधिसूचना को रद्द करने का आदेश सुनाते हुए इस प्रथा को लेकर जवाब मांगा है।

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Vikram Jain
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Pakistan Supreme Court decision regarding reservation for children of bureaucrats
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आरक्षण केवल भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी बड़ा मुद्दा है। हाल ही में आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद तख्तापलट हो गया, लेकिन बांग्लादेश का ये मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है।

अब भारत के पड़ोसी पाकिस्तान (Pakistan) में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण (Reservation) को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने प्रशासनिक अफसरों के बच्चों को आरक्षण दिए जाने पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

योग्यता हो नौकरी का आधार, वंश नहीं

दरअसल, पाकिस्तान में प्रशासनिक अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण मिलने का मुद्दा गर्माया हुआ है, नौकरशाहों के बच्चों को आरक्षण का लाभ मिलने को लेकर विरोध होते  रहता है। अब यह ज्वलंत मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा (Chief Justice Qazi Faiz Isa) ने प्रशासनिक अधिकारियों के बच्चों को रिजर्वेशन की इस प्रथा को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पारदर्शी और योग्यता के आधार पर नियुक्ति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ना कि इस तरह के आरक्षण प्रणाली के आधार पर।

पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने कहा कि योग्य व्यक्ति को इसकी योग्यता के आधार पर नौकरी मिलना चाहिए न कि वंश के आधार पर। नौकरी के मानदंडों को पूरा करने वालों को काम मिले। नौकरशाह को अपने बच्चों के लिए नौकरियों को आरक्षित करके खुद को कायम नहीं रखना चाहिए।

लोक सेवकों से जुड़ी अपील पर सुनवाई

खैबर-पख्तूनख्वा में लोक सेवकों से जुड़ी अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने कहा कि कहा कि नौकरशाहों के बच्चे किसी तरह से खास हैं? कोई व्यक्ति नौकरी का दावा कैसे कर सकता है। वह यह कैसे कह सकता है कि उसकी आने वाली पीढ़ियों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

सरकारी नौकरी आवंटन मामले की समीक्षा

दरअसल पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने वैधानिक विनियामक आदेश (SRO) के माध्यम से सरकारी नौकरियों के आवंटन के मामले की समीक्षा की है। 4 सदस्यीय पीठ का नेतृत्व करते हुए न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने सवाल किया कि एक साधारण अनुभाग अधिकारी के जरिए इस तरह के SRO कैसे जारी किए जा सकते हैं।

उन्होंने ऐसी प्रथा की निंदा करते हुए कहा, “क्या एक अनुभाग अधिकारी देश चला सकता है? एक अनुभाग अधिकारी के जारी SRO के जरिए से संविधान और कानून नहीं बनाए जा सकते हैं।

नियुक्ति अधिसूचना होगी रद्द

सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश जारी करते हुए कहा कि पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा की सरकार की जारी सभी अधिसूचनाएं रद्द की जाए, जो योग्यता-आधारित नियुक्ति का उल्लंघन करती हैं। राज्य सरकार को ऐसे SRO को रद्द करना चाहिए जो समानता और गैर-भेदभाव पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।

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