पं. दीनदयाल ने संगठन आधारित राजनीतिक दल का पर्याय खड़ा किया, एकात्म मानववाद का सिद्धांत दिया, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कही थी बड़ी

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Atul Tiwari
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पं. दीनदयाल ने संगठन आधारित राजनीतिक दल का पर्याय खड़ा किया, एकात्म मानववाद का सिद्धांत दिया, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कही थी बड़ी

BHOPAL. जनसंघ से बीजेपी के उदय तक एक राजनीतिक पार्टी ने विपक्ष से राजनीति के मजबूत विकल्प का सफर तय किया है। उसकी नींव डालने वाले व्यक्तित्व थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने संगठन आधारित राजनीतिक दल का एक पर्याय देश में खड़ा कर दिया था, ये उसी का परिणाम है कि भारतीय जनसंघ से लेकर के भारतीय जनता पार्टी तक संगठन आधारित राजनीतिक दल अपनी अलग पहचान रखता है। आज उनकी पुण्यतिथि है। 



जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे कि अगर मेरे पास एक-दो और दीनदयाल होते तो मैं हिंदुस्तान की राजनीति का चरित्र बदल देता। दरअसल पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कांग्रेस के विकल्प के तौर कार्यकर्ता के निर्माण पर जोर दिया। उनका उद्देश्य ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार करना था, जिसका एक स्वतंत्र चिंतन हो, राष्ट्रभक्ति से प्रेरित होकर और राष्ट्र-समाज को समर्पित हो। उन्होंने अपनी पूरी शक्ति संगठन को वैचारिक अधिष्ठान देने, कार्यकर्ता के निर्माण और संगठन के विस्तार में लगा दी।



एकात्म मानववाद के जनक के रूप में पहचान 



पंडित दीनदयाल कल भी प्रासंगिक थे, आज भी प्रासंगिक हैं और आगे भी रहेंगे। एकात्म मानववाद तात्कालिक जनसंघ और बीजेपी के लिए नहीं, बल्कि विश्व की मानव सभ्यता और संस्कृति के लिए एक दिशा है, एक नई समाज-व्यवस्था का प्रेरक है। एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय 20वीं सदी के वैचारिक युगपुरुष थे। उन्होंने भारत के जन-गण-मन को गहराई में आत्मसात करते हुए न केवल वैचारिक क्रांति की बल्कि व्यक्ति-क्रांति के भी प्रेरक बने। उनके दर्शन में आज भारत की संस्कृति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ-साथ मानव को केंद्र-बिंदु में रखकर ही राष्ट्र एवं समाज स्थापना की प्रेरणा मिलती है।



जौनपुर सीट से चुनाव हारे थे उपाध्याय



उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट का भी अपना एक अलग ही इतिहास रहा है। इस सीट से भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय को करारी शिकस्त मिल चुकी है। राजा यादवेंद्र दत्त दुबे और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रह चुके स्वामी चिन्मयानंद भी जौनपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अब तक हुए 18 चुनाव में 6 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी-जनसंघ का कब्जा रहा है। वहीं सपाऔर बसपा ने भी दो-दो बार जीत हासिल की है। एक बार जनता दल तो वहीं एक बार जनता पार्टी के प्रत्याशी को भी संसद में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।



उपाध्याय की मृत्यु आज भी रहस्य 



पंडित दीन दयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 में वाराणसी के करीब मुगलसराय जंक्शन लावारिस स्थिति में पाया गया था। उनकी मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है। दरअसल मुगलसराय जंक्शन के पास वह मृत पाए गए थे। उनकी मौत कैसे हुई इस बात का आज तक खुलासा नहीं हो पाया है। वहीं, कई लोगों का मानना है कि उनके साथ कोई हादसा हुआ था। वहीं, कई लोगों का मानना है कि उन्हें मारकर वहां फेंका गया था। खैर ये हादसा था या साजिश इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी तो है नहीं। लेकिन आज जो पार्टी देश के अधिकांश राज्यों और केंद्र में सरकार बनाकर बैठी है उसकी नींव में पंडित दीनदयाल जैसे अनुशासित और मेहनती नेता का मार्गदर्शन और पूरा जीवन खपा है।



स्वयं सेवक संघ और जनसंघ से जुड़ाव



पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा के नागदा के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। यह स्थान दीनदयाल धाम के नाम से जाना जाता है। उनके मामा-मामी ने सीकर में उनका लालन पालन किया था। कानपुर में उन्होंने बीए और आगरा में अंग्रेजी साहित्य में एमए की पढ़ाई की। 1937 में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और 1952 में जनसंघ के महामंत्री बनाए गए।

 


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