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हरियाणा के पानीपत में स्थित सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में एक मुस्लिम महिला टीचर द्वारा कक्षा 8वीं के छात्रों से कलमा पढ़वाने का मामला सामने आया है। यह बात तब सामने आई जब बच्चों ने स्कूल से घर लौटने के बाद वही कलमा गुनगुनाया। बच्चों की बातें सुनकर अभिभावकों को हैरानी हुई और मामला गंभीर हो गया पेरेंट्स स्कूल में शिकायत लेकर पहुंचे।
बच्चों गुनगुना रहे थे कलमा
जैसे ही बच्चों ने घर आकर कलमा दोहराया, वैसे ही परिजनों को यह बात खटक गई। उन्हें समझ नहीं आया कि बच्चे इस्लामिक धार्मिक पंक्तियां क्यों गा रहे हैं। जब उनसे पूछताछ की गई, तो बच्चों ने बताया कि यह लाइनें स्कूल की क्लास में टीचर ने पढ़वाई थीं। इसके बाद मामला तेजी से फैला।
गुस्साए पेरेंट्स पहुंचे स्कूल
घटना की जानकारी मिलते ही बच्चों के माता-पिता स्कूल पहुंच गए। स्कूल प्रबंधन को घेरते हुए अभिभावकों ने नाराजगी जाहिर की और महिला टीचर पर धार्मिक भावनाएं प्रभावित करने का आरोप लगाया। यह मामला उस समय और गरमा गया जब कई अन्य लोगों ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई।
स्कूल प्रशासन ने मैडम को कर दिया बर्खास्त
स्थिति बिगड़ती देख स्कूल प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से महिला टीचर(मैडम) को स्कूल से बर्खास्त कर दिया। उन्होंने पेरेंट्स को आश्वासन दिया कि आगे से ऐसा कोई विवादास्पद मामला दोहराया नहीं जाएगा। स्कूल ने स्पष्ट किया कि संस्था का कोई धार्मिक झुकाव नहीं है और सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है।
प्रिंसिपल बोलीं- बच्चों की जिज्ञासा के लिए एक लाइन सुनाई
स्कूल की प्रिंसिपल इंदु ने बताया कि संस्कृत की टीचर माही एक साल से स्कूल में पढ़ा रही थीं। उन्होंने बताया कि बच्चों ने उनसे पूछा था कि जैसे हिंदू प्रार्थना करते हैं, हनुमान चालिसा पढ़ते हैं। मुस्लिम लोग किस तरह की पूजा करते हैं। इस पर टीचर ने बच्चों की जिज्ञासा शांत करने के लिए कलमा की एक लाइन बता दी।
हालांकि, टीचर के इतना करने पर भी अभिभावकों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद टीचर को स्कूल से रिलीव कर दिया गया। टीचर ने अपनी गलती पर माफी भी मांगी है। प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल में टीचर का नाम माही से पुकारा जाता है, क्योंकि उनका असली नाम बड़ा और जटिल है। स्कूल के रजिस्टर में उनका असली नाम ही दर्ज है और इसमें कोई साजिश नहीं है।
पुलिस मौके पर पहुंची
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय पुलिस को भी स्कूल बुलाया गया। पुलिस ने वहां पहुंचकर स्थिति को संभाला और दोनों पक्षों से बातचीत कर माहौल शांत करवाया। हालांकि, किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि स्कूल ने तत्काल कार्रवाई कर दी थी।
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किसे कहा जाता है कलमा
कलमा (Kalma) इस्लाम में उन महत्वपूर्ण वाक्यों या कथनों को कहते हैं, जिनसे कोई व्यक्ति अपने ईमान या आस्था का इजहार करता है। यह शब्द "कलिमा" (अरबी: كلمة) से निकला है, जिसका अर्थ होता है "शब्द" या "वाक्य"। मूल रूप से यह इस्लाम के मूल सिद्धांतों को संक्षेप में व्यक्त करता है। इस्लाम में 6 मुख्य कलमे माने जाते हैं, जो बच्चों को मदरसों में सिखाए जाते हैं। इन्हें मुसलमानों को याद रखना जरूरी होता है। ये कलमे हैं-
1. तैय्यिबा (Kalma Tayyibah)
अर्थ: अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।
यह इस्लाम में प्रवेश के लिए कहा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कलमा माना गया है। फिल्मों में अक्सर ही इसे आपने सुना ही होगा।
2. शहादत (Kalma Shahadat)
अर्थ: मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, वह अकेला है उसका कोई साझेदार नहीं और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिवसल्लम उसके बंदे और रसूल हैं।
3. तम्जीद (Kalma Tamjeed)
अर्थ: अल्लाह पवित्र है, सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, अल्लाह सबसे महान है।
4. तौहीद (Kalma Tauheed)
अर्थ - अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझेदार नहीं। उसी की बादशाहत है और सारी प्रशंसा भी उसी के लिए है। वही जीवन देता है और वही मृत्यु देता है। वह सदा जीवित है और कभी नहीं मरेगा। वह सम्मान और महिमा वाला है। उसी के हाथ में हर भलाई है, और वह हर चीज़ पर पूरी तरह सक्षम है।
5. इस्तिग़फार (Kalma Istighfar)
अर्थ: मैं अल्लाह से अपने हर छोटे-बड़े, जानबूझकर या अनजाने में किए गए पापों की माफ़ी माँगता हूँ।
6. रद्दे कुफ्र (Kalma Radd-e-Kufr)
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