क्या सस्ता होने वाला है पेट्रोल-डीजल? तेल की कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री ने दे दिए बड़ा बयान

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द ही गिरावट आ सकती है। यह कच्चे तेल के नए स्रोतों और ऊर्जा नीति में बदलाव के कारण संभव हो सकता है।

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Sourabh Bhatnagar
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हाल के दिनों में, बढ़ती पेट्रोल और डीजल की कीमतें उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय रही हैं। हालांकि, अब एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगी है, क्योंकि भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संकेत दिया है कि कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में जल्द ही गिरावट हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक हालात (Global Oil Market) ऐसे ही बने रहे और कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रही, तो भारत में अगले तीन-चार महीनों में पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में कमी हो सकती है।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना

हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें गिर सकती हैं क्योंकि नए कच्चे तेल के स्रोत सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, "तेल की कीमतें कम होंगी क्योंकि नए स्रोत सामने आ रहे हैं। अब हमारे पास तेल की आपूर्ति की पर्याप्त व्यवस्था है।" यह दर्शाता है कि भारत ने अब अपने तेल आपूर्तिकर्ताओं की संख्या बढ़ाकर किसी एक देश पर निर्भरता कम कर दी है। अब भारत 40 देशों से तेल आयात कर रहा है, जो पहले केवल कुछ देशों तक सीमित था।

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वैश्विक तेल बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका

भारत की वैश्विक तेल बाजार में भूमिका दिन-ब-दिन बढ़ रही है। पुरी ने बताया कि भारत का योगदान वैश्विक तेल बाजार में 16 प्रतिशत तक बढ़ चुका है, और आने वाले वर्षों में यह 25 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। इसका मतलब है कि भारत सिर्फ उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहा है।

क्या है पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी का मामला?

  1. कीमतों में कमी: अगर कच्चा तेल 65 डॉलर प्रति बैरल पर रहा, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट सकती हैं।

  2. विविध आयात: भारत अब 40 देशों से तेल खरीदता है, रूस से 40% आयात बढ़ा है।

  3. अमेरिकी दबाव: अमेरिका के दबाव के बावजूद, भारत रूस से तेल खरीदता रहेगा।

  4. तेल आपूर्ति स्थिर: वैश्विक तेल आपूर्ति में कोई कमी नहीं है, भारत नए देशों से भी तेल खरीद रहा है।

  5. भविष्यवाणी: कच्चे तेल की कीमतें 65-70 डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकती हैं।

ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता

अमेरिका के संभावित प्रतिबंधों पर पुरी ने कोई चिंता नहीं जताई, और उन्होंने कहा, "अगर एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुल जाता है।" इससे यह साफ है कि भारत अब ऊर्जा सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में अधिक आत्मनिर्भर और रणनीतिक रूप से मजबूत स्थिति में है। देश की तेल आयात नीति के बदलाव से वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।

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रूस से तेल आयात पर अमेरिका की चिंता

हाल ही में, अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध (secondary sanctions) की संभावना जताई थी। इस पर मंत्री पुरी ने स्पष्ट रूप से जवाब दिया और कहा कि रूस वैश्विक तेल उत्पादन का 10 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने कहा, "अगर रूस को तेल व्यापार से बाहर कर दिया जाता, तो कीमतें $130 प्रति बैरल तक पहुँच जातीं।" पुरी के अनुसार, रूस से भारत का तेल खरीदना केवल आर्थिक समझदारी नहीं है, बल्कि यह वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में मदद करता है।

रूस से सस्ते तेल की खरीदारी: एक गेमचेंजर रणनीति

यह पहली बार नहीं है जब हरदीप पुरी ने रूस से तेल आयात का समर्थन किया है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि भारत ने रूस से तेल खरीदकर न केवल घरेलू कीमतों को स्थिर रखा, बल्कि वैश्विक तेल बाजार में असंतुलन को भी रोका। अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया होता, तो कच्चे तेल की कीमतें $120-130 प्रति बैरल तक पहुँच जातीं, जिससे पूरी दुनिया महंगाई की चपेट में आ जाती।

FAQ

1. क्या भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं?
भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना है। इसका कारण भारत द्वारा अपनाए गए ऊर्जा आयात नीति में बदलाव और नए तेल आपूर्ति स्रोतों से जुड़ा है। भारत अब 40 देशों से तेल आयात कर रहा है, जिससे भविष्य में कीमतों में राहत मिल सकती है।
2. रूस से तेल खरीदने का भारत के लिए क्या लाभ है?
रूस से सस्ता तेल खरीदने से भारत ने न केवल घरेलू कीमतों को नियंत्रित किया, बल्कि वैश्विक तेल बाजार में भी असंतुलन को रोका। अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया होता, तो कच्चे तेल की कीमतें $120-130 प्रति बैरल तक पहुँच जातीं, जिससे पूरी दुनिया महंगाई की चपेट में आ जाती।
3. भारत का तेल आयात नीति में बदलाव कैसे मददगार है?
भारत की ऊर्जा आयात नीति में बदलाव से तेल की कीमतों में स्थिरता आएगी। भारत अब कुछ देशों पर निर्भर नहीं है और उसने तेल आयात की विविधता बढ़ाकर 40 देशों तक पहुंचा दी है। इससे ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई है और वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारत की भूमिका भी बढ़ी है।

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