दवा टेस्ट में फेल Pharma companies ने खरीदे करोड़ों के electoral bonds

डेटा खंगालने पर सामने आया कि 23 फार्मा कंपनियों और एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से करीब 762 करोड़ रुपए का चंदा राजनीतिक दलों को दिया। आइए आपको बताते हैं उन फार्मा कंपनियों के बारे में जिनके ड्रग टेस्ट फेल हुए...

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Jitendra Shrivastava
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23 फार्मा कंपनियों ने खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड।

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BHOPAL. 23 फार्मा कंपनियों ( Pharma companies ) और एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने इलेक्टोरल बॉन्ड ( electoral bonds ) के माध्यम से करीब 762 करोड़ रुपए का चंदा राजनीतिक दलों को दिया। डेटा खंगालने पर ये बाद सामने आई कि जिन कंपनियों की दवाओं के ड्रग टेस्ट फेल हुए उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपयों के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दिए तो बात और भी गंभीर हो जाती है।

इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े कुछ डेटा 

जिन कंपनियों की दवाओं के ड्रग टेस्ट फेल हुए उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपयों के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दिए तो बात और भी गंभीर हो जाती है। इस स्थिति में अगर ये पता चले कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मलेरिया, कोविड या दिल की बीमारियों का इलाज करने वाली कई प्रचलित दवाओं के ड्रग टेस्ट फेल होते रहे हैं तो आम लोगों के लिए ये एक चिंता का विषय है। ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े उस डेटा के विश्लेषण से जिसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाया और जिसे चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किया।

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1. टोरेंट फार्मास्यूटिकल लिमिटेड

इस कंपनी का ऑफिस गुजरात के अहमदाबाद में रजिस्टर्ड है। 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई तीन दवाओं के ड्रग टेस्ट फेल हुए हैं। ये दवाएं थीं डेप्लेट ए 150, निकोरन आईवी 2 और लोपामाइड। डेप्लेट ए 150 दिल का दौरा पड़ने से बचाती है और निकोरन आईवी 2 दिल के कार्यभार को कम करती है। लोपामाइड का इस्तेमाल दस्त के इलाज के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 7 मई 2019 और 10 जनवरी 2024 के बीच 77.5 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इन 77.5 करोड़ रुपए में से 61 करोड़ भारतीय जनता पार्टी को, सिक्किम क्रान्तिकारी मोर्चा को 7 करोड़ रुपए और कांग्रेस को 5 करोड़ रुपए दिए।

2. सिप्ला लिमिटेड

सिप्ला लिमिटेड का रजिस्टर्ड ऑफिस मुंबई में है। 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की दवाओं के सात बार ड्रग टेस्ट फेल हुए। ड्रग टेस्ट फेल करने वाली दवाओं में आरसी कफ सिरप, लिपवास टैबलेट, ओन्डेनसेट्रॉन और सिपरेमी इंजेक्शन शामिल थी। सिपरेमी इंजेक्शन में रेमडेसिविर दवा होती है जिसका इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है। लिपवास का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए किया जाता है। ओन्डेनसेट्रॉन का इस्तेमाल कैंसर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी के कारण होने वाली मतली और उल्टी को रोकने के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 10 जुलाई 2019 और 10 नवम्बर 2022 के बीच 39.2 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इनमें से 37 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को और 2.2 करोड़ के कांग्रेस को दिए गए।

3. सन फार्मा लेबोरेटरीज लिमिटेड

सन फार्मा लेबोरेटरीज का मुख्यालय मुंबई में है। 2020 और 2023 के बीच छह बार इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के ड्रग टेस्ट फेल हुए। टेस्ट में फेल होने वाली दवाओं में कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स, और फ्लेक्सुरा डी शामिल थीं। कार्डिवास का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप, हृदय से संबंधित सीने में दर्द (एनजाइना) और हार्ट फेलियर इलाज के लिए किया जाता है। 15 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 को इस कंपनी ने कुल 31.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सारे बॉन्ड कंपनी ने बीजेपी को दिए।

4. जाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड

जाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई में है। 2021 में बिहार के ड्रग रेगुलेटर ने इस कंपनी की बनाई गई रेमडेसिविर दवाओं के एक बैच में गुणवत्ता की कमी की बात कही थी। रेमडेसिविर का इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है। 10 अक्टूबर 2022 और 10 जुलाई 2023 के बीच इस कंपनी ने 29 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इसमें से 18 करोड़ रुपए बीजेपी, 8 करोड़ रुपए सिक्किम क्रान्तिकारी मोर्चा और 3 करोड़ रुपए कांग्रेस को दिए गए।

5. हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड

इन कंपनियों का मुख्यालय तेलंगाना के हैदराबाद में है। साल 2018 और 2021 के बीच इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के सात ड्रग टेस्ट फेल हुए। ड्रग टेस्ट में फेल हुई दवाओं में रेमडेसिविर इंजेक्शन, मेटफॉरमिन और कोविफोर शामिल थीं। रेमडेसिविर और कोविफोर का इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है, जबकि मेटफॉरमिन का इस्तेमाल डायबिटीज या मधुमेह के लिए होता है। हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड ने 7 अप्रैल 2022 और 11 जुलाई 2023 को 30 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। ये सारे बॉन्ड तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी को दिए गए। हेटेरो लैब्स लिमिटेड ने 7 अप्रैल 2022 और 12 अक्टूबर 2023 को 25 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इसमें से 20 करोड़ रुपए के बॉन्ड बीआरएस को और 5 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को दिए गए।

6. इंटास फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड

इंटास फार्मास्युटिकल्स का हैडऑफिस गुजरात के अहमदाबाद में है। जुलाई 2020 में इस कंपनी की बनाई गई दवा एनाप्रिल का ड्रग टेस्ट फेल हुआ। एनाप्रिल का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप और हार्ट फेलियर के इलाज के लिए किया जाता है। इस दवा को दिल का दौरा पड़ने के बाद भी दिया जाता है। इस कंपनी ने 10 अक्टूबर 2022 को 20 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। ये सारे बॉन्ड भारतीय जनता पार्टी को दिए गए।

7. आईपीसीए लैबोरेट्रीज लिमिटेड

आईपीसीए लैबोरेट्रीज लिमिटेड का हैडऑफिस मुंबई में है। अक्टूबर 2018 में इस कंपनी की बनाई गई दवा लारियागो टेबलेट का ड्रग टेस्ट फेल हुआ। लारियागो का उपयोग मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए किया जाता है। 10 नवम्बर 2022 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच इस कंपनी ने 13.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इसमें से 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड बीजेपी को और 3.5 करोड़ के बॉन्ड सिक्किम क्रान्तिकारी मोर्चा पार्टी को दिए गए।

 8. ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई में है। साल 2022 और 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के छह ड्रग टेस्ट फेल हुए। जिन दवाओं के ड्रग टेस्ट फेल हुए उनमें टेल्मा एएम, टेल्मा एच और जिटेन टेबलेट शामिल थी। टेल्मा एएम और टेल्मा एच का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप के इलाज में किया जाता है। जिटेन टेबलेट का इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 11 नवम्बर 2022 को 9.75 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए।

फार्मा कंपनियों ने छापेमारी के बाद किस पार्टी को दिया दान

एसबीआई ने जो डेटा पहली खेप में चुनाव आयोग को दिया था उसका विश्लेषण करने पर कुछ ऐसे उदाहरण दिखे जहां किसी साल किसी प्राइवेट कंपनी पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) या आयकर विभाग की छापेमारी हुई और उसके कुछ ही दिन बाद उस कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। ऐसे भी उदाहरण हैं जिनमें किसी कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे और कुछ दिन बाद उस पर छापेमारी हुई और उसके बाद कंपनी ने फिर इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इन कंपनियों में भी कुछ फार्मा कंपनियां और एक अस्पताल शामिल हैं। 

आइए आपको बताते हैं किन कंपनियों पर ईडी की छापेमारी हुई, इन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद कर किन राजनीतिक पार्टियों को दिए...

1. यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का हेडऑफिस तेलंगाना में है। इस कंपनी ने 4 अक्टूबर 2021 और 11 अक्टूबर 2023 के बीच 162 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। कंपनी पर 22 दिसंबर 2020 को आयकर विभाग की रेड हुई। 4 अक्टूबर 2021 से इस कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने शुरू किए। इस कंपनी ने 94 करोड़ रुपए के बॉन्ड भारत राष्ट्र समिति पार्टी, 64 करोड़ के बॉन्ड कांग्रेस को और 2 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को दिए।

2. डॉ. रेड्डी लैब

डॉ. रेड्डी लैब का हेडऑफिस तेलंगाना के हैदराबाद में है। 8 मई 2019 और 4 जनवरी 2024 के बीच 84 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। 12 नवंबर 2023 को आयकर विभाग ने इस कंपनी से जुड़े लोगों और उनके सहयोगियों पर अवैध नकद लेनदेन के मामले में छापेमारी की। 17 नवम्बर 2023 को इस कंपनी ने 21 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। 4 जनवरी 2024 को कंपनी ने 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इस कंपनी ने 32 करोड़ रुपए के बॉन्ड भारत राष्ट्र समिति पार्टी को दिए। साथ ही 25 करोड़ रुपए के बॉन्ड बीजेपी, 14 करोड़ रुपए के बॉन्ड कांग्रेस और 13 करोड़ रुपए के बॉन्ड तेलुगुदेशम पार्टी को दिए।

3.अरबिन्दो फार्मा

अरबिन्दो फार्मा का मुख्यालय तेलंगाना के हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 3 अप्रैल 2021 और 8 नवंबर 2023 के बीच 52 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। 10 नवंबर 2022 को कंपनी के डायरेक्टर पी सरथ चंद्र रेड्डी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले गिरफ्तार कर लिया। 15 नवंबर 2022 को कंपनी ने 5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सभी बॉन्ड भारतीय जनता पार्टी को दिए गए।

4. नैटको फार्मा

नैटको फार्मा का हैडऑफिस हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 5 अक्टूबर 2019 और 10 जनवरी 2024 के बीच 69.25 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इसमें से 20 करोड़ रुपए बीआरएस पार्टी, 15 करोड़ रुपए बीजेपी को और 12.25 करोड़ कांग्रेस पार्टी को दिए गए।

5. एमएसएन फार्माकेम लिमिटेड

एमएसएन फार्माकेम लिमिटेड का हैडऑफिस हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 8 अप्रैल 2022 और 16 नवंबर 2023 को कुल 26 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बांड खरीदे। इसमें से 20 करोड़ रुपए बीआरएस पार्टी और 6 करोड़ रुपए बीजेपी को दिए गए।

6. यूजिया फार्मा स्पेशलिटीज

यूजिया फार्मा स्पेशलिटीज का हैडऑफिस हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 8 नवम्बर 2023 को 15 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए।

7. अलेम्बिक फ़ार्मास्युटिकल्स

अलेम्बिक फार्मास्युटिकल्स का हैडऑफिस गुजरात के वडोदरा में है। इस कंपनी ने 14 नवंबर 2022 और 5 जुलाई 2023 के बीच 10.2 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए।

8. एपीएल हेल्थकेयर लिमिटेड

एपीएल हेल्थकेयर लिमिटेड का हैडऑफिस भी हैदराबाद में है। इस कंपनी ने 8 नवंबर 2023 को 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। ये सभी बॉन्ड बीजेपी को दिए गए।

चुनावी बॉण्ड को लेकर कांग्रेस का दावा

कांग्रेस ने दावा किया कि चुनावी बॉण्ड 'प्रीपेड रिश्वत' और 'पोस्टपेड रिश्वत' का मामला है और इसकी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि 'चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान' मौजूदा सरकार की नीति है।

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