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आजकल बच्चों में खाना खाते समय मोबाइल चलाने की आदत बहुत आम हो गई है। चाहे बच्चा छोटा हो या बड़ा एक बार उसे फोन देखकर खाने की लत लग जाए तो फिर बिना फोन के खाना खिलाना मुश्किल हो जाता है। यह आदत न केवल बच्चे की सेहत पर बुरा असर डालती है, बल्कि माता-पिता के साथ उसके क्वालिटी टाइम को भी कम कर देती है।
इससे उनका ध्यान खाने पर नहीं रहता और उनका स्क्रीन टाइम बढ़ जाता है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके पीछे पेरेंट्स की एक बड़ी गलती हो सकती है।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जब पेरेंट्स खुद मोबाइल का ज्यादा यूज करते हैं, तो बच्चे भी यही आदत अपनाते हैं। ये आदत उनके लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक हो सकती है।
आइए इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पेरेंट्स अपनी आदतों में कैसे सुधार कर सकते हैं और बच्चों का स्क्रीन टाइम कैसे कम कर सकते हैं।
स्क्रीन टाइम का बच्चों की सेहत पर असर
बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के उपाय जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि, इसका उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है। जब तक आप उन्हें इसका एक्चुअल लॉस नहीं समझाएंगे, तब तक सलूशन की ओर सीरियस स्टेप्स उठाना मुश्किल हो सकता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक, ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों की सोशल और इमोशनल ग्रोथ में ऑब्स्ट्रक्शन बन सकता है। इससे मोटापा, नींद न आना, डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे बच्चे अक्सर गुस्सैल और जिद्दी भी हो जाते हैं।
वहीं यूएस-बेस्ड मेंटल हेल्थ रिसर्च ऑर्गनाइजेशन सेपियन लैब्स के एक सर्वे के मुताबिक, जिन बच्चों को जल्दी स्मार्टफोन दे दिया जाता है, उनमें मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स का खतरा भी उतनी ही जल्दी बढ़ जाता है।
इतना ही नहीं, ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों के दिमाग में डोपामाइन नामक न्यूरो ट्रांसमीटर का लेवल बढ़ सकता है। इससे उन्हें ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती है।
धीरे-धीरे ये आदत उनकी याददाश्त को भी एफेक्ट करने लगती है और इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। इस तरह स्क्रीन टाइम बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डालता है।
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क्यों बच्चे खाते हुए फोन में लग जाते हैं
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बच्चों को मोबाइल क्यों नहीं देना चाहिए
छोटे बच्चों को मोबाइल देना उनके लिए अच्छा नहीं है और इस पर एक्सपर्ट्स भी सहमत हैं। हमें छोटे बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए क्योंकि इससे
- दिमाग का सही विकास नहीं होता: जब छोटे बच्चे मोबाइल देखते हैं, तो उनके ब्रेन का डेवलपमेंट ठीक से नहीं हो पाता। उन्हें नई चीजें सीखने और सोचने में मुश्किल हो सकती है, क्योंकि वे असली दुनिया से जुड़ नहीं पाते।
- बोलने और सीखने में दिक्कत: बच्चे मोबाइल देखकर कम बोलते और सीखते हैं। उन्हें बातचीत करने, दूसरों की बातों को समझने और अपनी भावनाएं बताने में परेशानी हो सकती है। मोबाइल की जगह उन्हें स्टोरीज सुनाना और उनसे बातें करना ज्यादा फायदेमंद है।
- नींद खराब होती है: मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी बच्चों की नींद को खराब करती है। अगर वे रात में मोबाइल देखते हैं, तो उन्हें सोने में मुश्किल होती है और जब नींद पूरी नहीं होती तो वे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाते हैं।
- फिजिकल एक्टिविटी कम होती है और मोटापा बढ़ता है: मोबाइल देखते समय बच्चे एक जगह बैठे रहते हैं, जिससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। जब बच्चे खेलते-कूदते नहीं हैं, तो उनमें मोटापा बढ़ने का खतरा होता है, जो उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है।
- ध्यान लगाने में मुश्किल: मोबाइल की तेज और बदलती हुई स्क्रीन बच्चों को किसी एक चीज पर कंसन्ट्रेट नहीं करने देती। इससे उनकी कंसंट्रेशन कमजोर होती है, जो आगे चलकर उनकी पढ़ाई और किसी भी काम पर असर डाल सकती है।
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बच्चों की मोबाइल की लत कैसे छुड़ाएं
आजकल बच्चे बहुत मोबाइल देखते हैं और यह एक बड़ी परेशानी बन गई है। इसे छुड़ाना मुश्किल लग सकता है पर अगर हम सही तरीके अपनाएं तो यह मुमकिन है। सबसे पहले, आपको खुद से शुरुआत करनी होगी, क्योंकि बच्चे वही करते हैं जो वे देखते हैं।
छोटे बच्चों को मोबाइल न दें
- छोटे बच्चों को फोन से दूर रखें। जितना हो सके, उन्हें डिजिटल स्क्रीन मत दिखाइए। उनका दिमाग अभी बढ़ रहा है और मोबाइल देखने से उनका विकास रुक सकता है।
फोन देखने का समय तय करें
- अगर बच्चा पढ़ाई के लिए फोन यूज करता है, तो उसके लिए एक पक्का समय तय करें। जैसे, "तुम बस आधे घंटे के लिए फोन देख सकते हो, फिर इसे रख देना।" इस नियम को सख्ती से मानिए।
खुद बनें उदाहरण
- बच्चों के सामने खुद हर समय फोन में न लगे रहें। माता-पिता को बच्चों के लिए एक अच्छा रोल मॉडल बनना बहुत जरूरी है। अगर आप खुद फोन में बिजी रहेंगे, तो बच्चा भी यही सीखेगा।
खेलने के और तरीके ढूंढें
बच्चे को सिर्फ फोन पर निर्भर न रहने दें। उसके लिए मनोरंजन के दूसरे तरीके खोजिए, जैसे:
- बोर्ड गेम्स (लूडो, कैरम) खेलें।
- उसे किताबें पढ़ने के लिए दें।
- उसे बाहर खेलने (क्रिकेट, साइकिल) के लिए भेजें।
- ड्रॉइंग या पेंटिंग जैसी एक्टिविटीज कराएं।
खिलौने दें, फोन नहीं
- छोटे बच्चों को चुप कराने या बहलाने के लिए खिलौने दें, उन्हें फोन की स्क्रीन के आगे मत बैठाइए। खिलौने उनके दिमाग और शरीर के विकास में मदद करते हैं।
खेल-खेल में सिखाएं
- एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग पर ध्यान दें। बच्चों के साथ ऐसी एक्टिविटीज करें जिनसे उन्हें खेलते हुए सीखने का मौका मिले। इससे वे फोन के एडिक्टेड नहीं बनेंगे। जैसे, उनके साथ पहेलियां सुलझाएं या मिट्टी के खिलौने बनाएं।
सख्त नियम बनाएं
- घर में स्मार्टफोन के पक्के नियम बनाइए। बच्चे को साफ-साफ बताइए कि वह कब फ़ोन यूज़ कर सकता है और कब बिल्कुल मना है। इन नियमों का पालन हमेशा करें।
पेरेंटिंग में न करें ये आम गलतियां
जब बात बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने की आती है तो कई बार माता-पिता जाने-अनजाने कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो उल्टा असर डालती हैं। इनसे बचना बेहद जरूरी है:
- 0 से 2 साल तक के बच्चों को दूर रखें: 0 से 2 साल तक के बच्चों को मोबाइल से पूरी तरह दूर रखें। इस उम्र में उनका दिमाग बेहद सेंसिटिव होता है और स्क्रीन का असर उनकी ग्रोथ पर सीधा पड़ता है।
- खाना खिलाते समय मोबाइल न दिखाएं: खाना खिलाते समय मोबाइल दिखाने की आदत न डालें। इससे बच्चे का ध्यान खाने की बजाय स्क्रीन पर रहता है और यह न सिर्फ उसकी डाइजेशन को एफेक्ट करता है, बल्कि आगे चलकर यह एक परमानेंट हैबिट बन जाती है।
- नियम बनाएं और पालन करें: स्क्रीन टाइम को लेकर घर में एक नियम बनाएं और उसे सख्ती से फॉलो करें। इससे बच्चे को यह मैसेज मिलेगा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सीमित होना चाहिए।
- क्वालिटी टाइम बिताएं: अगर आप चाहते हैं कि बच्चा मोबाइल कम इस्तेमाल करे तो उसके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। खेलें, बातें करें, कहानियां सुनाएं। ध्यान रखें वो आपको देखकर ही सीखता है।
- कंटेंट पर नजर रखें: बच्चा मोबाइल में क्या देख रहा है, इस पर नजर जरूर रखें। नेगेटिव कंटेंट उसकी सोच और व्यवहार को नुकसान पहुंचा सकता है।
- पूरी तरह बैन न करें: स्क्रीन को पूरी तरह बैन कर देना भी सही तरीका नहीं है। इससे बच्चे का उस ओर अट्रैक्शन और बढ़ सकता है। इसके बजाय उसे समझाएं कि स्क्रीन का सीमित और सही यूज क्यों जरूरी है।
तो, अगर आप चाहते हैं कि बच्चे का स्क्रीन टाइम कम हो, तो पहले खुद का स्क्रीन टाइम कम करें। जब आप उसके साथ वक्त बिताएंगे तो वह खुद-ब-खुद मोबाइल से दूरी बनाना शुरू कर देगा। पेशेंस और एफर्ट से आप अपने बच्चे को एक हेल्दी और बैलेंस्ड लाइफस्टाइल दे सकते हैं।
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