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New Delhi. पीएम मोदी अब जी-7 समिट में हिस्सा लेने जापान रवाना होंगे। जापान में दुनिया के तमाम देश जुट रहे हैं। इस बार यह अहम समिट परमाणु हमले को झेलने वाले शहर हिरोशिमा में हो रही है। पोखरण परमाणु परीक्षण करने के बाद मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो जापान के हिरोशिमा की धरती पर कदम रखेंगे। उनसे पहले भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने हिरोशिमा का दौरा किया था। इसके बाद भारत को कोई प्रधानमंत्री हिरोशिमा नहीं गया। इस लिहाज ने पीएम मोदी का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है।
ड्रैगन की है जी-7 समिट पर नजर
पीएम मोदी 19 मई से 21 मई तक जापान के दौरे पर हैं। इस बार जी-7 समिट की अध्यक्षता जापान कर रहा है। इसमें जापान, फ्रांस, कनाडा, इटली, अमेरिका, यूके और जर्मनी सदस्य देश हैं। सम्मेलन में भारत समेत अनेक देशों को निमंत्रण भेजा गया था। इस दौरे पर पीएम मोदी अनेक राष्ट्राध्यक्षों से द्विपक्षीय बातचीत कर सकते हैं। चीन की हरकतों को रोकने के लिए पीएम मोदी का इस समिट में भाग लेना अहम माना जा रहा है। यह संगठन दुनिया के ताकतवर संगठनों में से एक है।
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1974 के बाद पहली बार है कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री हिरोशिमा शहर पहुंचेगा। 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश ने पहला परमाणु परीक्षण किया था, जिसका असर भारत और जापान के रिश्तों पर पड़ा था। परमाणु हमले का दंश झेल चुका जापान परमाणु हथियारों के परीक्षण पर बेहद संवेदनशील रहा है। इसके बाद 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में देश ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किए थे। उस दौरान जापान ने भी भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए थे।
जापान के पीएम किशिदा हिरोशिमा के हैं
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा खुद हिरोशिमा से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए इस बार जी-7 समिट को इसी शहर में रखा गया है। 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी नाम के शहरों पर परमाणु बम गिराए गए थे। जिसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया था। पहला परमाणु हमला हिरोशिमा शहर पर ही हुआ था, जिसमें लाखों लोगों की जान गई थी। मौत का यह मंजर देखने वाले शहर में जी-7 समिट कराकर भी जापान विश्व को एक बड़ा संदेश देना चाहता है।